सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : चितकारा यूनिवर्सिटी में यूनियन बजट 2025-26 पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

चितकारा यूनिवर्सिटी के चितकारा बिजनेस स्कूल के अर्थशास्त्र संकाय ने यूनियन बजट 2025-26 पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। यह दो दिवसीय आयोजन भारत के आर्थिक भविष्य पर संवाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया। संगोष्ठी ने विद्वानों, विशेषज्ञों और छात्रों को डिजिटलीकरण, सतत विकास, राजकोषीय नीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका जैसे महत्वपूर्ण बजटीय विषयों पर चर्चा करने का मंच प्रदान किया।

चितकारा यूनिवर्सिटी की प्रो-चांसलर, डॉ. मधु चितकारा ने कहा,

“भारत का आर्थिक भविष्य रणनीतिक राजकोषीय नीतियों, स्थिरता और समावेशी विकास पर निर्भर करता है। यह राष्ट्रीय संगोष्ठी शिक्षाविदों, उद्योग जगत और नीति निर्माताओं को एक साथ लाकर प्रगतिशील आर्थिक रणनीतियों को आकार देने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करती है। चितकारा यूनिवर्सिटी में, हम ऐसे विचारशील संवादों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो भविष्य के नेताओं को वैश्विक मंच पर भारत की आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनाएंगे।”

प्रमुख विशेषज्ञों के सत्र

इस आयोजन में कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने भाग लिया, जिनमें शामिल थे:

प्रो. आरती श्रीवास्तव

प्रो. राधिका पांडे

डॉ. राजमल (भारतीय रिजर्व बैंक)

प्रो. मनमोहन कृष्ण (नीति आयोग के चेयर प्रोफेसर)

प्रो. मीनी गोविंदन (टेरी)

प्रो. हिप्पू साल्क क्रिस्टल नाथन (IRMA)

इन विशेषज्ञों ने शिक्षा की आर्थिक भूमिका, राजकोषीय स्थिरता, सतत ऊर्जा नीति और ग्रामीण आर्थिक विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार साझा किए।

प्रो. आरती श्रीवास्तव ने कहा,

“उच्च शिक्षा में निवेश, राष्ट्र के भविष्य में निवेश करने के समान है। हमें एक ऐसा शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना चाहिए, जो अकादमिक ज्ञान और रोजगार क्षमता के बीच की खाई को पाट सके।”

संगोष्ठी के मुख्य बिंदु

पहला दिन:

पोस्टर प्रतियोगिता और विशेषज्ञ व्याख्यान

पैनल चर्चा: शिक्षा नीति का दीर्घकालिक प्रभाव, कर सुधार, जलवायु अनुकूल कृषि, और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की औद्योगिक महत्वाकांक्षाएँ।

दूसरा दिन:

राजकोषीय स्थिरता और सतत विकास रणनीतियों पर चर्चा।

प्रो. कृष्णा ने भारत की GDP वृद्धि और राजकोषीय नीतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा:

“भारत 7-7.5% की आर्थिक वृद्धि दर प्राप्त कर सकता है, लेकिन इसके लिए राजकोषीय समेकन (Fiscal Consolidation) पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है, ताकि सतत विकास की मजबूत नींव रखी जा सके।”

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