हांगकांग । जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया में चिंताए प्रबल है और ऐसे में चीन ने एक बार फिर कहा है कि उसके यहां 2030 तक कार्बन उत्सर्जन अपने चरम पर पहुंचेगा और उसके बाद ही उसमें कमी आएगी। साथ ही उसने कहा कि वह इसमें कमी लाने के संबंध में जल्द ही विस्तृत योजना की घोषणा करेगा। हालांकि अमेरिका और ब्रिटेन का कहना है कि चीन जलवायु परिवर्तन को रोकने की दिशा में और सहयोग करे। जलवायु परिवर्तन पर देश के दूत शिआ जेनहुआ ने एक ऑनलाइन वेबिनार में कहा कि चीन जल्द ही कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए योजना जारी करेगा और इस साल के अंत में स्कॉटलैंड, ग्लासगो में होने वाले संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन में उसके बारे में विस्तार से बताएगा। चीन पहले भी कह चुका है कि 2030 में उसके यहां कार्बन उत्सर्जन चरम पर होगा और फिर नीचे आएगा, वह कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने (कार्बन न्यूट्रालिटी) के लक्ष्य को 2060 तक प्राप्त करेगा।
दुनिया के सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक ने दलील दी है कि वह अभी भी विकासशील अर्थव्यवस्था है और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की दिशा में उसे विकसित देशों की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए। दुनिया भर के नेता और जलवायु परिवर्तन पर ठोस कदम उठाने की वकालन करने वाले 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी) के लिए नवंबर में ग्लासगो में एकत्र होंगे। इस सम्मेलन में सभी देश एकजुट होकर कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने और जलवायु परिवर्तन में धरती के तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रोके रखने पर सहमति बनाने का प्रयास करेंगे, ताकि जलवायु परिवर्तन के भीषण परिणामों से बचा जा सके।