बीजिंग । चीन और ताइवान के बीच बढ़ती खींचतान के साथ दक्षिण चीन सागर में तनाव के हालात पैदा हो गए है। इस बीच अमेरिका ने भी इस इलाके में अपने एयरक्राफ्ट कैरियरों की मौजूदगी को बढ़ा दिया है। इस समय हर वक्त अमेरिका के दो एयरक्राफ्ट कैरियर इस इलाके में गश्त लगा रहे हैं। इसके अलावा ब्रिटेन का एयरक्राफ्ट कैरियर एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ और फ्रांस का युद्धपोत भी इस इलाके में समय-समय पर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं।

ऐसे मे चीन ने अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर्स को खत्म करने के लिए अपने सबसे घातक हथियार एच-6 बॉम्बर्स को और अधिक अपग्रेड किया है। अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर को उसकी समुद्री ताकत का प्रतीक माना जाता है। अमेरिका के पास इस समय 11 एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। ये सभी परमाणु शक्ति संचालित होने के कारण पूरी दुनिया में बिना रिफ्यूलिंग के गश्त लगाते रहते हैं। इनमें से हर एक एयरक्राफ्ट कैरियर के साथ पूरी फ्लीट चलती है, जिसमें डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट, माइन स्वीपर और कई पनडुब्बियां शामिल होती हैं। ये सभी युद्धपोत और पनडुब्बियां पानी के अंदर और बाहर से आने वाले खतरों को कम करने और एयरक्राफ्ट कैरियर के ऑपरेशन में मदद करने का काम करती हैं।

 

अमेरिका से बढ़ते खतरे को देखते हुए चीन ने कुछ दिन पहले ही ऑर्बिटल बम्बॉर्डमेंट सिस्टम का परीक्षण किया है। चीनी मीडिया ने इस परीक्षण की तुलना दुनिया की पहली सैटेलाइट के लॉन्चिंग जैसे ऐतिहासिक पल से की है। इस हथियार की खासियत है कि चीन अब जब चाहे तब अंतरिक्ष से परमाणु बम को धरती के किसी भी कोने में दाग सकता है। इसमें एंटी शिप बैलिस्टिक मिसाइल भी शामिल है, जो समुद्र में दुश्मन के युद्धपोत को अंतरिक्ष से पलक झपकते ही खत्म कर सकती है। चीन की इस एंटी शिप मिसाइल को सोवियत काल में बने एच-6 बॉम्बर से फायर किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन का एच-6एन विमान बेहद खतरनाक है और इसे तेजी से चलने वाले ड्रोन विमान से लेकर एंटी शिप मिसाइलों को ले जाने के लिए बनाया गया है।

यह विमान क्रूज मिसाइलें भी दागने में सक्षम है। यह चीन के बमवर्षक विमान एच-6के उन्‍नत संस्‍करण है जो खुद भी अत्‍याधुनिक है। एच-6के सोवियत संघ के टीयू-16 बमवर्षक विमान पर आधारित है। चीन ने अब अपने एच-6एन विमान के लिए हवा से दागे जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइलें बना रहा है। चीन ने हाल ही में अपने सैन्‍य परेड में भारी भरकम डीएफ-17 मिसाइल का प्रदर्शन किया था। यह मिसाइल कितनी कारगर है, इसके बारे में अभी बहुत कम जानकारी है। हालांकि चीन निश्चित रूप से दुनिया को यह बताना चाहता है कि उसके पास पूरी तरह से सक्रिय हाइपरसोनिक मिसाइल है।