सुप्रीम कोर्ट भारत का एक ऐसा प्रमुख संस्थान है जो न्याय की गारंटी देता है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो न्याय और समानता की उम्मीद रखते हैं। हाल ही में, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इस महत्वपूर्ण तथ्य पर जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट “जनता की अदालत” है। यह बयान तब आया जब कोर्ट के कुछ फैसलों पर आलोचना की जा रही थी, विशेष रूप से उन मामलों में जिनमें कानूनी सिद्धांतों की निरंतरता पर सवाल उठाए गए थे।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कार्य केवल निर्णय देना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जो लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करता है और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। न्यायालय की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि न्यायिक प्रक्रिया सभी के लिए सुलभ हो, विशेषकर समाज के हाशिए पर पड़े लोगों के लिए।

यह बयान तब विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब न्यायालय के निर्णय अक्सर समाज को विभाजित करने वाले मुद्दों पर होते हैं। चाहे वह नागरिक अधिकारों का मामला हो या राजनीतिक विवाद, न्यायपालिका का उद्देश्य समाज की संरचना को बनाए रखना है। इसलिए, मुख्य न्यायाधीश ने जनता से संयम और समझदारी की अपील की है ताकि न्यायिक प्रक्रिया के प्रति विश्वास बना रहे।

सुप्रीम कोर्ट की भूमिका आने वाले समय में और भी महत्वपूर्ण होगी, जब भारत जटिल सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करेगा। न्यायपालिका को निष्पक्ष और सिद्धांत-आधारित बने रहना होगा, चाहे उस पर कितना भी दबाव क्यों न हो।

यह संपादकीय इस बात की याद दिलाता है कि सुप्रीम कोर्ट और इसके मुख्य न्यायाधीश न्याय की सुरक्षा में कितने महत्वपूर्ण हैं, और कैसे यह संस्था भारत के लोकतंत्र की नींव को मजबूत बनाए रखती है।

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