सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: भारत ने चेस ओलिंपियाड के 97 साल के इतिहास में पहली बार ओपन और विमेंस दोनों कैटेगरी में पहला स्थान हासिल किया है। 45वें चेस ओलिंपियाड में भारत ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीते।
विमेंस टीम की सफलता
विमेंस टीम ने डिफेंडिंग चैंपियन चीन को हराते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया। टीम में शामिल खिलाड़ी तानिया सचदेव, वैशाली रेमशबाबू, हरिका द्रोणावल्ली, वंतिका अग्रवाल और दिव्या देशमुख ने 11 राउंड में से 9 मैच जीते और केवल एक ड्रॉ खेला। टीम को पोलैंड के खिलाफ एकमात्र हार का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर भी उन्होंने 19 पॉइंट्स के साथ पहला स्थान प्राप्त किया।
टीम के प्रमुख खिलाड़ी:
- तानिया सचदेव: ग्रैंडमास्टर बनने वाली पहली महिला चेस प्लेयर, जिन्होंने बुडापेस्ट में 5 मैच खेले, 2 में जीत और 3 ड्रॉ किए।
- हरिका द्रोणावल्ली: 2011 में ग्रैंडमास्टर बनीं, जिन्होंने 9 मैचों में 3 जीते और 3 ड्रॉ खेले।
- वैशाली रमेशबाबू: 10 मैचों में 4 जीत और 4 ड्रॉ के साथ टीम का स्कोर बनाए रखा।
- वंतिका अग्रवाल: 11 राउंड में 5 जीत और 3 ड्रॉ के साथ गोल्ड मेडल जीता।
- दिव्या देशमुख: सबसे मजबूत प्लेयर, जिन्होंने सभी 11 मैच खेले, 8 जीते और 9.5 पॉइंट स्कोर किया।
ओपन टीम की सफलता
ओपन टीम में पेंटाला हरिकृष्णा, आर प्रागननंदा, विदित गुजराती, डी गुकेश और अर्जुन इरिगैसी शामिल रहे। टीम ने 11 राउंड में 10 मैच जीते और एक ड्रॉ खेला।
टीम के प्रमुख खिलाड़ी:
- पेंटाला हरिकृष्णा: अनुभवी खिलाड़ी, जिन्होंने 3 मैच खेले और 2 जीते।
- आर प्रागननंदा: युवा ग्रैंडमास्टर, जिन्होंने 10 मैच खेले और 3 में जीत हासिल की।
- विदित गुजराती: 10 मैचों में 5 जीत और 5 ड्रॉ के साथ टीम के तीसरे बेस्ट प्लेयर रहे।
- गुकेश डोम्माराजू: 10 में से 8 जीतकर बोर्ड-1 पर गोल्ड जीता।
- अर्जुन इरिगैसी: 11 में से 9 मैच जीतकर बोर्ड-3 पर इंडिविजुअल गोल्ड जीता।
निष्कर्ष
भारत के इस ऐतिहासिक प्रदर्शन ने चेस ओलिंपियाड में देश का मान बढ़ाया है। खिलाड़ियों की मेहनत और सामूहिक प्रयास ने उन्हें इस गोल्ड मेडल दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।