सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कआईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ 75% विवाद हल होने वाले बयान को लेकर मंगलवार सफाई दी। उन्होंने न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में कहा कि उनके कहने का मतलब सिर्फ सैनिकों के पीछे हटने को लेकर था।

विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ दूसरे मुद्दों पर अभी भी चुनौती बनी हुई है। जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ भारत का इतिहास मुश्किलों से भरा रहा है।

जयशंकर ने कहा कि चीन साथ LAC पर हमारा साफ समझौता था। लेकिन उन्होंने साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान कई सैनिकों को तैनात कर समझौते का उल्लंघन किया। इसके बाद आशंका थी कि कोई हादसा होगा और ऐसा हुआ भी। झड़प हुई और दोनों तरफ के लोग हताहत हुए।

जयशंकर ने कहा कि चीन के इस फैसले से दोनों तरफ के रिश्ते प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि अब हम टकराव वाले बिंदुओं पर पीछे हटने के ज्यादातर मामलों को सुलझाने में सक्षम हैं। लेकिन गश्त से जुड़े कुछ मुद्दों को हल करने की जरूरत है। अब अगला कदम तनाव कम करना होगा।

जयशंकर ने कहा था- गलवान में झड़प से रिश्ते पर असर पड़ा

विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को जेनेवा में एक समिट में कहा था कि भारत ने चीन के साथ सीमा वार्ता में सफलता मिल रही है और लगभग 75% विवाद सुलझ गए हैं। उन्होंने कहा था कि सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं का एक-दूसरे के आमने-साने होना एक बड़ा मुद्दा है। अगर सीमा विवाद का समाधान हो जाता है, तो भारत-चीन संबंधों में सुधार संभव है।

जयशंकर ने कहा था कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया। सीमा पर हिंसा होने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि बाकी रिश्ते इससे प्रभावित नहीं होंगे। इससे पहले भी विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन के साथ रिश्तों पर बात कर चुके हैं।

जयशंकर बोले- चीन लिखित समझौतों को नहीं मानता

जयशंकर ने 7 मार्च को जापान में चीन को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था- 1975 से 2020 तक बॉर्डर पर शांति थी। 2020 (गलवान झड़प) में सब बदल गया। उन्होंने कहा था कि जब पड़ोसी लिखित समझौतों का उल्लंघन करे तो ये चिंता की बात है। इससे दोनों के रिश्तों की स्थिरता पर सवाल खड़े होते हैं। दुनिया बदल रही है ऐसे में दूसरे देशों के साथ भारत के रिश्तों में भी बदलाव आ रहा है। इसमें उग्र होने की जरूरत नहीं है।