सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: शाहरुख खान 2019 से लेकर 2023 तक चार साल फिल्मी पर्दे से दूर रहे। वजह यह थी कि उनकी कुछ फिल्में लगातार फ्लॉप हो रही थीं। शाहरुख ने हालिया इंटरव्यू में बताया कि ये चार साल उनके लिए कैसे रहे। शाहरुख ने कहा कि इन चार सालों में उन्होंने अपना एक निजी किचन खोल लिया था। पिज्जा बनाना भी सीख लिया था।
शाहरुख ने स्वीकारा कि कहीं न कहीं उन्होंने ऑडियंस की बात सुनना बंद कर दिया था। ऑडियंस उनसे कुछ और चाहती थी, जबकि वो कुछ और ही कर रहे थे। शायद इसी वजह से जीरो और फैन जैसी फिल्में चल नहीं पाईं। हालांकि 2023 का साल शाहरुख के लिए ऐतिहासिक रहा। उनकी दो फिल्में पठान और जवान ने वर्ल्डवाइड 1000 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन किया।
अपने जख्मों पर दवा लगा रहे थे शाहरुख
शाहरुख खान ने हाल ही में जर्नलिस्ट रिचर्ड क्वैस्ट को दुबई में एक इंटरव्यू दिया। शाहरुख से सवाल किया गया कि वो चार सालों तक सिल्वर स्क्रीन से गायब थे। क्या उन्हें खुद को लेकर संदेह हो रहा था। जवाब में शाहरुख ने कहा- मेरी फिल्में बहुत बड़ी फ्लॉप हो रही थीं। ऐसे में मैं अपने जख्मों पर दवा लगा रहा था।
हालांकि आपको यकीन नहीं होगा कि इस खाली टाइम में मैंने क्या-क्या सीखा। मैंने खुद का एक किचन बनाया। पिज्जा कैसे बनाया जाता है, वो सीखा। परफेक्ट राउंड पिज्जा भी बनाना सीखा।
खराब समय में बच्चों और मेरी टीम ने बहुत सपोर्ट किया
इस खराब समय से शाहरुख कैसे उबर पाए। क्या वापसी करना मुश्किल रहा। जवाब में SRK ने कहा- मुझे बहुत खुशी है कि फैमिली ने यह नहीं बोला कि तुम पिज्जा अच्छा बना ले रहे हो, अब फिल्में बनाना छोड़ दो। फैमिली ने बहुत सपोर्ट किया। उन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया।
मेरे बच्चों और मेरी टीम ने मुझे सबसे ज्यादा सपोर्ट किया। इसके बाद मैं परफेक्शन की तलाश में निकल पड़ा। मैंने सोच लिया कि अब मुझे कुछ अलग करना है। कुछ ऐसा करना है, जो ऑडियंस को पसंद आए।
शाहरुख ने माना- ऑडियंस की बात सुनना बंद कर दिया था
शाहरुख ने स्वीकार किया कि उन्होंने कुछ समय के लिए ऑडियंस की बात सुनना बंद कर दिया था। उन्होने कहा- मैं बाहर जाता था तो लाखों लोग मेरा अभिवादन करते थे। हालांकि वो लाखों लोग मुझसे चाहते क्या है, वो मैं जानने की कोशिश नहीं करता था।
शायद इसी वजह से मैंने फैन और जीरो जैसी फिल्में की, जो शायद ऑडियंस को अच्छी नहीं लगीं। लोगों मुझसे कुछ और चाहते थे। वो चाहते थे कि मैं अपनी फिल्मों से लोगों के दिलों-दिमाग में आशा और उम्मीद की किरण पैदा करूं।