सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: कनाडा ने भारत में मौजूद अपने डिप्लोमैटिक मिशन्स से कई भारतीय स्टाफ को हटा दिया है। इसके अलावा मुंबई, चंडीगढ़ और बेंगलुरु में मौजूद कनाडा के कॉन्सुलेट से सभी कर्मचारियों को भी हटा दिया है। कनाडाई हाई कमिशन के पब्लिक रिलेशन ऑफिस ने बताया कि यह फैसला भारत की तरफ से कनाडाई डिप्लोमैट्स को निकालने के बाद लिया गया है।
दरअसल, पिछले साल भारत ने कनाडा से उनके 41 डिप्लोमैट्स को वापस बुलाने को कहा था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों देशों के राजनयिकों की संख्या बराबर करने के लिए यह फैसला लिया गया। भारत में मौजूद कनाडा के ऐक्स्ट्रा डिप्लोमैट्स हमारे आंतरिक मामलों में दखल देते हैं।
द इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, कनाडा ने कितने भारतीय स्टाफ की छटनी की है, इसकी संख्या सामने नहीं आई हैं। हालांकि, ये 100 से कम है। भारतीय स्टाफ हटाने की खबर देते हुए कनाडाई हाई कमिशन ने कहा, “हम भारत में अपने नागरिकों के लिए सेवाएं जारी रखेंगे। हम कनाडा में पढ़ने, काम करने या रहने के लिए आने वाले भारतीय नागरिकों का भी स्वागत करते रहेंगे।”
भारत ने पिछले साल कनाडा के 62 में से 41 डिप्लोमैट्स को हटाया था।
ट्रूडो बोले- पिछली सरकार के भारत से अच्छे संबंध थे, जबकि हमने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को ऊपर रखा
वहीं बुधवार को PM ट्रूडो ने कनाडा के चुनाव में विदेशी दखल की जांच कर रही समिति के सामने पेशी के दौरान एक बार फिर से निज्जर की हत्या का जिक्र किया। कनाडाई PM ने कहा, “हमारी सरकार कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिब्ध है।”
ट्रूडो ने पिछली कंजर्वेटिव सरकार पर भारत के साथ अच्छे संबंधों के चलते नरमी बरतने का आरोप भी लगाया था। उन्होंने कहा था, “हमारी सरकार किसी भी देश के विरोध के बावजूद सभी अल्पसंख्यकों के साथ खड़ी है।”
भारत ने कहा था- डिप्लोमैट्स नहीं निकाले तो इम्यूनिटी खत्म होगी
इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में भारत के कहने पर कनाडा ने अपने 62 में से 41 डिप्लोमैट्स को भारत से हटा दिया था। दरअसल, भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अगर कनाडा ने तय समय तक अपने डिप्लोमैट्स को नहीं हटाया तो भारत में उनकी डिप्लोमैटिक इम्यूनिटी खत्म कर दी जाएगी।
कनाडा ने भारत की इस चेतावनी को नियमों का उल्लंघन बताया था। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था- हमने किसी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं किया है और न ही इसे इस तरह से पेश किया जाना चाहिए। भारत के इस फैसले पर ब्रिटेन और अमेरिका ने एतराज जताया था।