सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: आज हम बात करेंगे बहुजन समाज पार्टी (BSP) के हालिया राजनीतिक प्रदर्शन और उसके भविष्य पर।
एक समय उत्तर प्रदेश की राजनीति पर मजबूत पकड़ रखने वाली BSP अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ती दिख रही है। क्या यह पार्टी वाकई खत्म हो रही है? आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में।

बसपा का प्रदर्शन: चौंकाने वाले आंकड़े

हालिया उपचुनावों में बसपा का प्रदर्शन उसके सबसे खराब दौर को दर्शाता है:

  • कुंदरकी सीट: केवल 1,051 वोट।
  • मीरापुर सीट: मात्र 3,248 वोट।
  • कानपुर की सीसामऊ सीट: केवल 1,410 वोट।

2022 के मुकाबले:

  • खैर सीट पर 65,000 वोट लाने वाली BSP अब पूरी तरह से दर्शक की भूमिका में सिमटती नजर आ रही है।

दलित-जाटव वोट बैंक का टूटना

BSP की ताकत उसका परंपरागत दलित-जाटव वोट बैंक रहा है।

  • इस चुनाव में पार्टी ने किसी भी सीट पर 12% से अधिक वोट हासिल नहीं किए।
  • दलित मतदाताओं का यह बदलाव बसपा के लिए सबसे बड़ा झटका है।

एनडीए बनाम इंडिया: द्विध्रुवीय राजनीति का असर

  • यूपी की राजनीति अब दो मुख्य ध्रुवों में बंट चुकी है:
    • एनडीए (भाजपा)
    • इंडिया गठबंधन (सपा और कांग्रेस)
  • क्षेत्रीय पार्टियों, खासकर BSP जैसी पार्टियों के लिए खुद को प्रासंगिक बनाए रखना मुश्किल हो गया है।

मुस्लिम वोटों का बिखराव

मीरापुर सीट पर सपा की हार का मुख्य कारण मुस्लिम वोटों का बिखराव रहा।

  • आजाद समाज पार्टी और एआईएमआईएम ने 41,000 से अधिक वोट बटोरे।
  • यह वोट सपा को मिल सकते थे, लेकिन वोटों के बिखराव ने भाजपा-आरएलडी गठबंधन को मजबूत कर दिया।

क्या BSP का पुनरुत्थान संभव है?

अब सवाल यह है कि क्या BSP अपनी खोई हुई जमीन वापस हासिल कर पाएगी या यूपी की राजनीति से हाशिए पर चली जाएगी?

  • मायावती की नेतृत्व शैली पर सवाल।
  • युवा नेतृत्व की कमी।
  • संगठनात्मक कमजोरी।

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