नई दिल्ली । ब्रिटिश हाईकोर्ट ने भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ अपील को मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर मंजूरी दे दी है। पिछले माह उसने भारत की जेलों की बुरी हालत का हवाला देते हुए डिप्रेशन का खतरा बढ़ने और आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाली परिस्थिति का जिक्र करते हुए प्रत्यर्पण के खिलाफ अर्जी लगाई थी।

न्यायाधीश मार्टिन चैंबरलेन की अध्यक्षता में 12 जुलाई को उसकी अर्जी पर दोबारा सुनवाई हुई, कोरोना महामारी के चलते सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए की गई, इसके बाद उन्होंने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण से जुड़ा अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले जिला न्यायाधीश सैम गूज़ ने फरवरी में नीरव के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था और यूके की गृह सचिव प्रीति पटेल ने अप्रैल में इसे प्रमाणित किया था।

मोदी के वकील ने उसकी मानसिक स्वास्थ्य का हवाला देते हुए बताया था कि जब वह 8 साल का था तब उसकी मां ने आत्महत्या कर ली थी, जिसके बाद से उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं है और उसे नियमित रूप से मनोचिकित्सिक से परामर्श लेना पड़ता है, क्योंकि अक्सर उसके अंदर आत्महत्या की भावना उग्र हो जाती है। प्रत्यर्पण के चलते वह अवसाद में जा सकता है और उसके आत्महत्या करने का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए उसका प्रत्यर्पण रोका जाना चाहिए।

नीरव मोदी के पास भारत में मनोचिकित्सक से परामर्श लेने का अधिकार तो भारत में भी है, इस बात पर उसके वकील ने दलील दी कि वहां उसे अपनी इच्छा के मनोचिकित्सक से मिलने के लिए न्यायाधीश से इजाजत लेनी होगी और भारत की जेलों में मौजूद भीड़ को देखते हुए उसके इलाज में देरी हो सकती है जिससे उसकी जान को खतरा बड़ सकता है।

वकील ने बहस में कहा कि आर्थर रोड जेल में निजी चिकित्सक की अनुमति नहीं दी जाती है और इसके पक्ष में वकील ने एक पुराने मामले का जिक्र किया जिसमें मनोचिकित्सकीय आकलन के लिए अदालत ने इजाजत देने से इनकार कर दिया था। साथ ही महामारी के चलते मनोचिकित्सक का जेल में आना मुश्किल होगा। महाराष्ट्र में पहले ही महामारी के चलते स्वास्थ्य सुविधाएं डगमगाई हुई हैं। भारतीय अधिकारियों की ओर से क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस की बैरिस्टर हेलेन मेल्कोम ने तर्क दिया कि नीरव के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर विशेषज्ञों के साक्ष्य विवादित नहीं है और भारत सरकार मुंबई में उसकी उचित चिकित्सकीय देखरेख को सुनिश्चित करेगा और उच्चस्तरीय राजनयिक आश्वासन का कभी भी उल्लघंन नहीं किया गया है। वांछित हीरा व्यापारी के भारत प्रत्यर्पण को यूके की गृह सचिव प्रीति पटेल ने पहले ही पंजाब नेशनल बैंक घोटाले मामले में मंजूरी दे दी थी।