सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह ने लखनऊ में आयोजित प्रथम केजीएमयू ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजी मास्टर क्लास में भाग लिया। यह कार्यक्रम लखनऊ ऑर्थोपेडिक सोसाइटी (एलओएस) और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ऑर्थोपेडिक्स विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य हड्डी के ट्यूमर की रोकथाम, पहचान और इलाज में नई प्रगति पर चर्चा करना था।
इस मौके पर प्रो. सिंह ने कहा, “इस तरह के कार्यक्रम चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। शुरुआती पहचान, नवीन तकनीकों और अंतरविभागीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित करके, हम मरीजों के उपचार परिणामों को बेहतर बना सकते है।”
इस अवसर पर निदेशक सिंह ने हड्डी के ट्यूमर की रोकथाम और शुरुआती पहचान के लिए सामाजिक जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने नॉन-इनवेसिव बायोमार्कर्स विकसित करने की जरूरत बताई, जो न केवल इन ट्यूमर्स का पता लगाने में मदद करें, बल्कि उनकी भविष्यवाणी (प्रोग्नोसिस) भी करें।
उन्होंने यह भी कहा कि ये बायोमार्कर्स जैसे कि लार या मूत्र से लिए गए नमूनों के माध्यम से होने चाहिए ताकि यह प्रक्रिया सरल और प्रभावी हो। प्रो. सिंह ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और 3डी बायोप्रिंटर्स की भूमिका को रेखांकित किया और बताया कि कैसे ये तकनीकें ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजी में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इन तकनीकों को ऑर्थोपेडिक्स में स्नातकोत्तर छात्रों के प्रशिक्षण में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने एम्स भोपाल की ओर से 3डी बायोप्रिंटिंग प्रशिक्षण के लिए फैकल्टी और रेजिडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम का समर्थन देने की पेशकश की। इस पहल का उद्देश्य विभिन्न संस्थानों के बीच सहयोग और ज्ञान साझा करना है, ताकि चिकित्सा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके।

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