सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: दिल्ली हाईकोर्ट आज नए दंड कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) में अननैचुरल सेक्स से जुड़े अपराधों के लिए तय प्रावधान बाहर किए जाने पर सुनवाई करेगा।
दरअसल, देश में निरस्त हो चुकी भारतीय दंड संहिता (IPC) में शामिल धारा 377 के प्रावधान BNS से बाहर रखे गए हैं। इसके ही खिलाफ मंगलवार (12 अगस्त) को दायर की गई थी।
भारतीय दंड संहिता की धारा 377 किसी भी पुरुष, महिला या पशु के साथ अननैचुरल सेक्स को अपराध मानती है।
याचिकाकर्ता एक्टिंग CJ मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच से कहा था कि नए आपराधिक कानून में IPC की धारा 377 के प्रावधानों का न होना हर व्यक्ति, विशेषकर LGBTQ समुदाय के लिए खतरा पैदा करता है।
संसदीय समिति ने भी की थी सिफारिश
दिसंबर 2023 में गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को भारतीय न्याय संहिता में शामिल करने की मांग की थी। समिति ने कहा था कि भले ही भारतीय दंड संहिता निरस्त हो जाए, लेकिन धारा 377 वयस्कों के साथ गैर-सहमति और नाबालिगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के अलावा पशुओं के साथ अननैचुरल सेक्स के केस में लागू होनी चाहिए।
समिति ने यह भी कहा था कि भारतीय न्याय संहिता 2023 में पुरुष, महिला, ट्रांसजेंडर के खिलाफ गैर-सहमति वाले यौन अपराध और पशुता के लिए कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए यह सुझाव दिया गया कि BNS में IPC की धारा 377 को फिर से लागू करना और बनाए रखना जरूरी है।
1 जुलाई से लागू हुए हैं 3 आपराधिक कानून
देश में अंग्रेजों के जमाने से चल रहे कानूनों की जगह 3 नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई से लागू हुए हैं। इन्हें IPC (1860), CrPC (1973) और एविडेंस एक्ट (1872) की जगह लाया गया है।
लोकसभा ने 21 दिसंबर 2023 को तीन बिलों भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता बिल पास किए थे। 25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन बिलों पर दस्तखत किए थे।
शादीशुदा महिला को फुसलाने पर जेल, मर्डर पर 302 नहीं, धारा 101 लगेगी; नए क्रिमिनल कानूनों को जानिए
मर्डर करने पर धारा 302 नहीं, 101 लगेगी। धोखाधड़ी के लिए फेमस धारा 420 अब 318 हो गई है। रेप की धारा 375 नहीं, अब 63 है। शादीशुदा महिला को फुसलाना अब अपराध है, जबकि जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध अब अपराध की कैटेगरी में नहीं आएगा। ये बदलाव 1 जुलाई से देशभर में तीन नए क्रिमिनल कानून लागू होने से हुए हैं। नए क्रिमिनल कानूनों में महिलाओं, बच्चों और जानवरों से जुड़ी हिंसा के कानूनों को सख्त किया गया है। इसके अलावा कई प्रोसीजरल बदलाव भी हुए है, जैसे अब घर बैठे e-FIR दर्ज करा सकते हैं।