सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: ‘अस्पतालों या मेडिकल कॉलेजों में कुछ छोटे—छोटे कदम उठाकर भी वहां काम करने वाली महिला डॉक्टर व कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर सभी महिलाकर्मियों को व्हिसल (सीटी) मुहैया कराई जा सकती है। कार्यस्थल पर इसे रखना अनिवार्य किया जा सकता है, ताकि कोई अप्रिय घटना का अंदेशा होने पर वे इसका इस्तेमाल कर सकें। साथ ही महिलाओं के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जा सकता है, जिस पर वे अपनी पहचान उजागर किए बिना अपनी शिकायत दर्ज कर सकें। महिला कर्मचारियों के लिए सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग की जा सकती हैं।‘
यह कहना है गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन कविता सिंह का। वह भोपाल स्मारक अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (बीएमएचआरसी) में ‘स्वास्थ्य संस्थानों में महिला सुरक्षा को सुदृढ़ करने के उपाय’ पर आयोजित एक कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर पर लोगों को संबोधित कर रही थीं। कार्यशाला में आर्थिक अपराध शाखा में पदस्थ सहायक पुलिस महानिरीक्षक पल्लवी त्रिवेदी, मप्र पुलिस एकेडमी में सहायक पुलिस महानिरीक्षक श्रद्धा जोशी, भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी प्रभाकर तिवारी मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित थे। बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक मनीषा श्रीवास्तव भी कार्यशाला की अध्यक्षता की।
कार्यशाला में उपस्थित बीएमएचआरसी के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए सुश्री पल्लवी त्रिवेदी ने कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने में पुरुष सहकर्मी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। आपसी बातचीत के आधार पर वे यह जानते हैं कि कौन सा पुरुष कर्मचारी महिलाओं को गलत नजर से देखता है। महिला सहकर्मियों के बारे में क्या विचार रखता है। उनके बारे अभद्र बातें करता है। उन्हें ऐसे पुरुष कर्मचारियों के बारे में महिलाओं व प्रशासन को आगाह करना चाहिए, ताकि समय रहते कार्यवाही की जा सके।
सुश्री श्रद्धा श्रीवास्तव ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा का एक बड़ा कारण समाज की पितृसत्तात्मक सोच है। उन्होंने कहा कि देश में हाल में लागू की गई भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए कानून सख्त किए गए हैं। कई और भी कानून हैं, जो महिलाओं को सशक्त करते हैं और सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन सवाल यह है कि कितनी महिलाएं इन कानूनों की मदद ले पाती हैं और पुलिस के पास पहुंच पाती हैं। डॉ प्रभाकर तिवारी ने कहा कि महिलाएं सिर्फ लैंगिक हिंसा ही नहीं झेलतीं, उनको समाज में और अपने कार्यस्थल पर भी काफी कुछ सहन करना पड़ता है। उनको कई बार अपने पहनावे, शरीर, रहन—सहन को लेकर ताने सहने पड़ते हैं। बहुत सारी घटनाएं ऐसी होती हैं, जो सामने ही नहीं आ पातीं।
रात में बढ़ेगी सुरक्षाकर्मियों की संख्या, सीसीटीवी कैमरों की संख्या में होगा इजाफा : डॉ मनीषा श्रीवास्तव
बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि बीएमएचआरसी में कार्यरत महिला कर्मचारियों व विद्यार्थियों की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की गई है। यह पाया गया कि अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था अच्छी है, लेकिन इसे और बेहतर करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। अस्पताल परिसर में पुलिस चौकी स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। अस्पताल में रात के समय सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाई जा रही है। अस्पताल में पहले से सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, लेकिन अब संवेदनशील स्थानों पर सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जा रही है। स्टूडेंट्स हॉस्टल समेत पूरे कैंपस में लाइटिंग व्यवस्था को बढ़ाया जा रहा है। अस्पताल के सिक्युरिटी गार्डों को निर्देश दिया गया है कि वे एकांत स्थलों पर नियमित रूप से गश्त करें। महिला कर्मचारियों व विद्यार्थियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जाएगी।

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