भारत का काली मिर्च बाजार जलवायु परिवर्तन और व्यापारिक चुनौतियों से जूझ रहा है।
सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : भारत का काली मिर्च उद्योग 2025 में संकट के दौर में, जलवायु परिवर्तन और आपूर्ति बाधाओं से कीमतें उच्च स्तर पर
भारत का काली मिर्च उद्योग 2025 में एक कठिन दौर से गुजरने वाला है, क्योंकि उत्पादन में गिरावट और आपूर्ति की सीमाओं के कारण कीमतें नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही हैं। इससे किसानों और व्यापारियों के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं।
वियतनाम, ब्राजील, इंडोनेशिया और भारत वैश्विक काली मिर्च उत्पादन का 80% से अधिक और वैश्विक व्यापार का 95% नियंत्रित करते हैं। 2024 में, भारत का वैश्विक काली मिर्च उत्पादन में 11% योगदान था, जिसमें कर्नाटक का 60%, केरल का 30%, और शेष 10% तमिलनाडु व अन्य राज्यों से आया।
2024 में काली मिर्च बाजार अस्थिर बना रहा – जनवरी में INR 328 प्रति किग्रा से बढ़कर जून में INR 614 प्रति किग्रा हो गया, और दिसंबर तक INR 512 प्रति किग्रा पर स्थिर हुआ। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 में यह कीमत INR 1000 तक पहुंच सकती है।
भारत में उत्पादन में गिरावट, जलवायु परिवर्तन मुख्य कारण
2024 में अनियमित वर्षा और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के कारण फसल की पैदावार में भारी गिरावट आई। भारत में 2025 में काली मिर्च का उत्पादन 46,000 MT तक सीमित रहने का अनुमान है, जो 2024 में 55,000 MT था।
भारत ही नहीं, वैश्विक स्तर पर भी उत्पादन संकट में
भारत के अलावा, अन्य प्रमुख उत्पादक देशों में भी काली मिर्च की पैदावार में गिरावट दर्ज की गई है:
वियतनाम: 2023 में 192,000 MT से घटकर 2025 में 178,000 MT
ब्राजील: 2023 में 102,000 MT से 2024 में 70,000 MT, लेकिन 2025 में 85,000 MT
श्रीलंका: 2024 में 20,000 MT से घटकर 2025 में 14,000 MT
भारत में घरेलू उत्पादन कम होने के कारण श्रीलंका को निर्यात करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
उच्च कीमतों के बावजूद भारतीय किसानों को हो रही कठिनाइयाँ
बढ़ती मांग के बावजूद कर्नाटक के किसानों को अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
केरल में व्यवस्थित व्यापार नेटवर्क और संस्थागत खरीदार उपलब्ध हैं, जबकि कर्नाटक में प्रत्यक्ष खरीद प्रणाली का अभाव है।
कर्नाटक के किसान अपनी उपज केरल भेजने को मजबूर हैं, जहां बिचौलिये अधिक लाभ कमाते हैं और किसानों को कम कीमत मिलती है।
व्यापार विशेषज्ञों ने किए सुधारों के सुझाव:
कर्नाटक और अन्य राज्यों में संगठित खरीद प्रणाली स्थापित की जाए।
प्रत्यक्ष व्यापार चैनलों को मजबूत किया जाए ताकि किसानों को उचित मूल्य मिले।
निर्यातकों और व्यापारियों के लिए अवसर, लेकिन चुनौतियाँ भी बरकरार
भारत के निर्यातक और व्यापारी बाजार की प्रवृत्तियों पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।
उच्च कीमतें व्यापारियों के लिए लाभकारी हो सकती हैं, लेकिन
जलवायु परिवर्तन और बाजार की असंगठित व्यवस्था भारतीय काली मिर्च उद्योग की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए एक गंभीर चिंता बनी हुई है।
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