मध्य प्रदेश में बायो-CNG के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति होने जा रही है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने राज्य में पांच बायो-CNG प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई है, जो इस वर्ष के अंत तक चालू हो जाएंगे। इन प्लांटों में पराली, धान, सोयाबीन के अवशेष और गोबर का उपयोग किया जाएगा। यह न केवल स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देगा, बल्कि किसानों को उनके कृषि अवशेषों के लिए अतिरिक्त आय का अवसर भी प्रदान करेगा।

कृषि अपशिष्ट का कारगर उपयोग

भारत में हर साल लाखों टन पराली और अन्य कृषि अपशिष्ट जलाए जाते हैं, जिससे गंभीर वायु प्रदूषण होता है। बायो-CNG प्लांट इन अपशिष्टों का पर्यावरणीय रूप से अनुकूल तरीके से निपटान करेंगे और ऊर्जा के एक स्थायी स्रोत को विकसित करने में सहायक होंगे।

पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ

बायो-CNG, पारंपरिक ईंधनों की तुलना में कहीं अधिक स्वच्छ और टिकाऊ है। इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को गति मिलेगी। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगी।

सरकारी सहयोग और नीतियाँ

मध्य प्रदेश सरकार ने पहले से ही स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ बनाई हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज के इस कदम को इन नीतियों का लाभ मिलेगा, जिससे परियोजना की सफलता सुनिश्चित होगी। इसके अलावा, अन्य राज्यों में भी इसी तरह की परियोजनाओं की संभावना बढ़ जाएगी।

आगे की राह

यदि यह पहल सफल होती है, तो अन्य उद्योग भी इसी मॉडल को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे। इससे भारत में हरित ऊर्जा का दायरा बढ़ेगा और आयातित पेट्रोलियम पर निर्भरता घटेगी। यह कदम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण योगदान होगा।

निष्कर्ष

मध्य प्रदेश में बायो-CNG परियोजनाओं का आगमन न केवल पर्यावरणीय लाभ देगा, बल्कि किसानों और स्थानीय समुदायों को भी आर्थिक रूप से सशक्त करेगा। यह पहल आने वाले वर्षों में भारत की ऊर्जा नीति और सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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