भोपाल । प्रदेश में एक अगस्त से शुरू की गई आनलाइन लर्निंग लाइसेंस व्यवस्था में बड़ी खामी सामने आई है। जिन आवेदकों के पास आधार कार्ड नहीं है या उसमें फोन नंबर अटैच नहीं है। उन्हें दस्तावेज अपलोड करने के बाद वेरिफिकेशन के लिए आरटीओ जाना ही पड़ेगा। वहीं अधिकारी भी, इसलिए परेशान हैं कि आखिर वे कितने लोगों के दस्तावेजों का वेरिफिकेशन करेंगे।

एक अगस्त से प्रदेशभर के आरटीओ में नई व्यवस्था लागू की गई है, जिसमें आवेदक को लर्निंग लाइसेंस के लिए आरटीओ आने की जरूरत नहीं है। इसमें सबसे अधिक परेशानी उन लोगों को आ रही है, जिनके पास आधार कार्ड नहीं है या उससे मोबाइल नंबर अटैच नहीं है। अधिकारियों के अनुसार नए नियम के अनुसार ऐसे लोगों आवेदन करते समय अपने दस्तावेज वेबसाइट पर अपलोड करने पड़ रहे हैं, लेकिन इसके बाद दस्तावेजों का वेरिफिकेशन करवाने आरटीओ ही आना होगा। यहां वेरिफिकेशन के बाद ही वे लोग आनलाइन टेस्ट दे सकेंगे।अधिकारियों का कहना है ऐसे तो नई व्यवस्था का उद्देश्य पूरा ही नहीं हो सकेगा। वहीं दस्तावेजों का वेरिफिकेशन करना हमारा काम नहीं है। अगर किसी व्यक्ति ने जाली दस्तावेज लगाकर वेरिफिकेशन करवा लिया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। मंगलवार को दिनभर आरटीओ अधिकारी इस पर चर्चा करते रहे कि इस विसंगति से कैसे निपटा जाए।

लर्निंग लाइसेंस के ऑफलाइन अपॉइंटमेंट बंद

आरटीओ में लर्निंग लाइसेंस के ऑफलाइन अपॉइंटमेंट बंद हो गए हैं। अब केवल उन्हीं आवेदकों के ऑफ लाइन लर्निंग लाइसेंस बन पाएंगे, जिन्होंने 5 अगस्त तक के स्लॉट बुक कर लिए हैं। आरटीओ संजय तिवारी का कहना है कि सारथी के माध्यम से ऑनलाइन लर्निंग लाइसेंस सेवा को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। लंबे ट्रायल के बाद भोपाल में ऑनलाइन लर्निंग लाइसेंस की नई व्यवस्था अभी लागू किया है। हालांकि विभाग ने अचानक ऑफलाइन व्यवस्था को बंद नहीं करने की बात कही थी, लेकिन अब ऑनलाइन प्रक्रिया से लाइसेंस बनवाने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। साथ ही आवेदकों ने भी 5 अगस्त के बाद के अपाइंटमेंट लेना बंद कर दिए हैं। इस संबंध में स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड के सेंटर इंचार्ज राजेश शर्मा का कहना है कि फिलहाल ऑफलाइन अपॉइंटमेंट बंद करने का उद्देश्य, आवेदकों को ऑनलाइन सेवा की ओर शिफ्ट करना है।

दिक्कत आ रही

एजेंटों के अनुसार अभी नई व्यवस्था शुरू हुई है। इससे बैंक पेमेेंट में दिक्कत आ रही है। इसके अलावा कई बार वेबसाइट अंतिम समय में क्रेश हो जाती है। इससे आवेदक को पूरी प्रक्रिया फिर से दोहरानी पड़ती है।