सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: भोपाल के प्रशासन अकादमी में सीएम डॉ. मोहन यादव और राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने प्रदेश के 54 लाख स्टूडेंट्स की यूनिफॉर्म के लिए 324 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने 14 शिक्षकों को राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान भी प्रदान किए। कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह, एसीएस जेएन कंसोटिया, लोक शिक्षण आयुक्त शिल्पा गुप्ता, स्कूल शिक्षा सचिव संजय गोयल भी मौजूद रहे।
स्कूल शिक्षा मंत्री बोले- शिक्षा व्यवस्था में अतिथि शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान
स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कहा मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी मुझे मिली और पिछले 9- 10 महीनों में हमने यह प्रयास किया कि चलती हुई शिक्षा व्यवस्था को बगैर कोई छेड़छाड़ किए बेहतर परिणाम व्यवस्था, बेहतर संसाधन और बेहतर परिवेश देने का प्रयास किया। बच्चों की परफॉर्मेंस श्रेष्ठतम करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।
मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कहा कि हम लोगों ने पूरे प्रदेश में 36 हजार शिक्षकों का उच्च पद पर प्रभार में प्रमोशन किया है। या फिर अतिशेष में उन्हें व्यवस्थित करने का प्रयास किया। हमारे मप्र की शिक्षण व्यवस्था में अतिथि शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है। लगभग 74 हजार अतिथि शिक्षकों को शिक्षा व्यवस्था में जोड़ने का काम किया है। उनकी भागीदारी हमारी व्यवस्था में बड़ी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमारे बच्चों का भविष्य गढ़ने में अपना योगदान दे रहे हैं।
CM बोले- राम-कृष्ण के जीवन के उत्कृष्ट प्रंसगों को माइथोलॉजी में डालना दुर्भाग्यपूर्ण
सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा, हमें जब- जब चुनौती मिलती है तो हमारी शिक्षा परंपरा की भूमिका आती है। विद्यालय में दी गई शिक्षा और आदर्श वातावरण की भूमिका आती है। इसलिए हमारे दुश्मन सदैव उस बात को जानते हैं जिसके कारण से हम इन कष्टों से भी निकल कर आते हैं। पहले जब हमारे ऊपर आक्रमण हुए तो उन्होंने तक्षशिला को जलाया, नालंदा को जलाया हमारे विश्वविद्यालयों पर आक्रमण किया। ये 2000 साल पहले हुआ और 200 साल पहले भी हुआ।
जब लॉर्ड मैकाले हमारे आए तो उन्होंने सारी शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त किया। इसमें – उसमें कोई अंतर नहीं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षा नीति 2020 लेकर आए तो उन्होंने कहा पाठ्यक्रम के अंदर कौन सा विषय होना चाहिए? जो गौरवशाली अतीत पर गर्व कर सके। वह विषय होना चाहिए। इसलिए उसको काल के प्रवाह में पता नहीं क्या-क्या कहते थे, भगवान राम और कृष्ण के जीवन के प्रसंगों को लेकर केवल उनको कर्मकांड की माइथोलॉजी में डाल देना ये दुर्भाग्य की बात है।
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