सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी में गुरुवार को दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का समापन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य समुदाय आधारित सतत जल प्रबंधन, पेयजल आपूर्ति तथा जल संरक्षण से जुड़ी चुनौतियों और संभावित समाधान पर विचार-विमर्श करना रहा।
कार्यशाला के पहले दिन मध्य प्रदेश शासन के मुख्य सचिव अनुराग जैन, जल निगम के प्रबंध निदेशक के.बी.एस. चौधरी सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। उन्होंने जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रदेश में चल रही पेयजल योजनाओं की स्थिति, उपलब्धियों और आवश्यक सुधारों पर विस्तार से चर्चा की।
दूसरे दिन की शुरुआत ‘जल सहेलियों’ के स्वागत गीत से हुई, जिसके बाद संवाद सत्रों की श्रृंखला आरंभ हुई। इन सत्रों में छतरपुर, निवाड़ी, पन्ना, दमोह, डिंडोरी, मंडला सहित कई जिलों से आए सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, ग्राम पंचायत सचिव, सरपंच, ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति के सदस्य, जल सहेलियाँ, जल योद्धा और अन्य जमीनी कार्यकर्ताओं ने सक्रिय सहभागिता की।
इस अवसर पर समर्थन संस्था के योगेश कुमार ने मंच संचालन किया, जबकि परमार्थ संस्था के सचिव डॉ. संजय सिंह ने सतत जल प्रबंधन की महत्ता पर जोर देते हुए जल जीवन मिशन के अंतर्गत जॉइंट मॉनिटरिंग फर्म की स्थापना और वॉटर स्टेटस रिपोर्ट को राज्य स्तर पर साझा किए जाने की आवश्यकता बताई।
पीएचईडी विभाग के के.के. सोनगरिया ने जल आपूर्ति प्रणाली को सुदृढ़ करने हेतु जल्द ही नई नीतियाँ लागू करने की बात कही। उन्होंने आश्वस्त किया कि प्रदेश की प्रत्येक बस्ती तक नल-जल पहुँचाना सरकार की प्राथमिकता है और समानता के आधार पर सभी को जल आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
वहीं, वॉटरएड संस्था के सीईओ वी.के. माधवन ने जल की गुणवत्ता, रखरखाव और प्राथमिकता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने ग्राम स्तर पर नेतृत्व विकास और स्वच्छता समितियों की सक्रिय भूमिका को बेहद ज़रूरी बताया।
कार्यशाला के दौरान यह बात भी प्रमुखता से सामने आई कि कई स्थानों पर ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समितियों की सक्रियता कम है। सरपंचों की रुचि होते हुए भी तकनीकी जटिलताओं के कारण कई पेयजल योजनाएँ सुचारु रूप से संचालित नहीं हो पा रही हैं।
हालांकि, विगत एक वर्ष में राज्य में पेयजल क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। जून 2026 तक सभी सिंगल विलेज स्कीम्स को दुरुस्त करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके साथ ही तकनीकी एप्लिकेशनों का निर्माण कर जल की उपलब्धता की निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य हो रहा है।
इस दो दिवसीय कार्यशाला में जल निगम, पीएचईडी विभाग, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, जल सहेलियाँ, जल योद्धा, ग्राम पंचायत सचिव, पंच, सरपंच और ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति के सदस्यों ने सहभागिता कर स्थानीय स्तर की समस्याओं व उनके समाधान साझा किए।
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