सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कइंटीग्रेटेड ट्रेडन्यूज़ नई: भक्तों की जुबानी, भोले बाबा यानी सूरज पाल जाटव ने बिना एक पैसा लिए देशभर में आलीशान आश्रम खड़े कर दिए। इस रहस्यमयी बाबा का साम्राज्य 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का बताया जा रहा है। आइए जानते हैं इस अद्भुत कथा के बारे में।

किस शहर में हैं बाबा के आलीशान आश्रम?

भोले बाबा ने उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में आलीशान आश्रम खड़े किए हैं। बाबा खुद कोई दान नहीं लेते, परंतु ट्रस्ट के नाम पर संपत्ति खरीदने का शातिर तरीका अपनाते हैं। इन ट्रस्टों के जरिए उन्होंने देशभर में 24 आश्रम स्थापित किए हैं। बाबा की लग्जरी कारों की बड़ी काफिला भी हमेशा उनके साथ रहता है।

भक्तों के भरोसे खड़ा किया साम्राज्य

भोले बाबा ने भक्तों के अटूट विश्वास के बल पर अपनी संपत्ति बनाई। वे स्वयं दान लेने से परहेज करते हैं, परंतु ट्रस्ट के माध्यम से संपत्ति अर्जित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। मैनपुरी के आलीशान आश्रम के बारे में कहा जाता है कि वह करोड़ों की लागत से बना है।

दौसा और कानपुर: रहस्यमयी आश्रमों का खुलासा

राजस्थान के दौसा में बाबा के आश्रम में एक निजी सेना तैनात रहती थी, जो लोगों की हर गतिविधि पर नजर रखती थी। कानपुर के आश्रम में जब आजतक की टीम पहुंची तो वहां महंगे झूमर और राजशाही सिंहासन का नजारा था। बाबा के आश्रमों का हर कोना किसी किले से कम नहीं था।

भोले बाबा की सुरक्षा

भोले बाबा के सुरक्षा घेरे में 5000 जवानों की पिंक आर्मी और 100 ब्लैक कमांडो शामिल थे। बाबा की पिंक आर्मी सत्संग में सुरक्षा का जिम्मा संभालती थी, जबकि ब्लैक कमांडो उनके सबसे खास दस्ते का हिस्सा थे।

नारायण साकार हरि के आश्रमों की गाथा

भोले बाबा का सबसे पुराना आश्रम कासगंज के पटियाली गांव में है। यहीं से उनके साम्राज्य की शुरुआत हुई थी। बाबा के ट्रस्ट में बड़ी संख्या में महिला सेवादार भी शामिल हैं, जो ट्रस्ट के कामकाज को संभालते हैं।

भक्तों का अटूट विश्वास और बाबा का साम्राज्य

भोले बाबा के अनुयायियों का कहना है कि उनके प्रवचन के दौरान उनके बगल वाली कुर्सी पर उनकी मामी बैठती हैं। बाबा के भक्त उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में फैले हुए हैं।

भोले बाबा का खेल: दान नहीं, फिर भी समृद्धि का राज

भोले बाबा की कथा एक रहस्य से कम नहीं है। उन्होंने दान के बिना भी कैसे इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया, यह आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है। उनके ट्रस्टों और आश्रमों का हर कोना उनकी चतुराई का गवाह है। इस गाथा का अंत कब और कैसे होगा, यह देखना बाकी है।