सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में विचार मंथन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसका विषय था “कर्मयोगी बनें” । यह परिचर्चा विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के मध्य आयोजित की गई। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो संजय तिवारी ने की। इसके साथ ही कार्यक्रम के संयोजक एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुशील कुमार मंडेरिया भी उपस्थित रहे। परिचर्चा में विद्यार्थियों से सीधा संवाद स्थापित किया गया। जिससे शैक्षणिक व्यवस्था में कुछ नए बदलाव किया जा सकें।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता एवं विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. उत्तम सिंह चौहान ने कहा कि, कृष्ण ने गीता में कर्म योग का दर्शन दिया है। यह एकमात्र दर्शन है, जो युद्ध स्थल पर दिया गया है। उन्होंने कहा कि, कर्म योग एक ऐसा सिद्धांत है, जिसके द्वारा जीवन के ध्येय को प्राप्त किया जा सकता है। प्रो. चौहान ने कहा कि, कई विद्वानों ने कर्म योग की व्याख्या की है। जिनमें सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि, कर्म योग एक ऐसा कवच है, जिससे हर परिस्थिति में रास्ता निकाला जा सकता है। गीता पर विवेकानंद, तिलक और महात्मा गांधी ने भी अपनी-अपनी व्याख्याएं प्रस्तुत की हैं। निदेशक चौहान ने कहा कि, ऋग्वेद में भी ब्रह्मांड की उत्पत्ति का सिद्धांत बिग बैंग थ्योरी की बात कही गई है। पाई की वैल्यू भारत में आर्यभट्ट ने बहुत पहले बताई थी। इस अवसर पर प्रो. उत्तम सिंह चौहान ने पश्चिम में रिलिजन अर्थात धर्म तथा भारतीय दृष्टिकोण में धर्म के अर्थ को स्पष्ट किया।


उन्होंने भारत में प्रचलित 9 दर्शनों का संक्षिप्त में परिचय दिया, जिनमें 6 आस्तिक और तीन नास्तिक दर्शन शामिल है। उन्होंने बताया कि, किस प्रकार भारत से निकला हुआ भौतिकवादी चार्वाक दर्शन पश्चिम में गया और उससे वहां उपयोगिता वादी सिद्धांत प्रतिपादित हुआ। यही कारण है कि, पश्चिम में वैज्ञानिक क्रांति हुई और औद्योगिक क्रांति हुई और वहां पर भौतिकवादी प्रगति भारत की अपेक्षा अधिक हुई। उन्होंने कपिल मुनि के सांख्य दर्शन को वैज्ञानिक दर्शन बताया। निदेशक चौहान ने सांख्य दर्शन में जीवन के विकास का सिद्धांत विस्तृत रूप से समझाया । प्रो. चौहान ने प्रकृति और पुरुष के संबंध को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि, योग दर्शन में अष्टांग योग के माध्यम से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाया गया है। गीता यह बताती है कि मेरा धर्म क्या है।
प्रमुख वक्ता के रूप में मौजूद मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के निर्देशक एल. पी. झारिया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि, सबसे बड़े कर्मयोगी भगवान कृष्ण है। आत्मा अजर है, अमर है और अविनाशी है। हम जो कर्म करते हैं तो उसका प्रभाव हमारी आत्मा पर भी पड़ता है। उन्होंने उपस्थित छात्रों को अच्छा कर्मयोगी बनने के गुर दिए। शिक्षा व्यवस्था की समस्याओं पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि, शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में संलग्न करने से विद्यालय और महाविद्यालय में शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। निदेशक झरिया ने शैक्षणिक वातावरण को शुद्ध बनाने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं, इस पर चर्चा की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलगुरु संजय तिवारी ने कहा कि, हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। हमारे कर्मों का जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव होता है। हमें अपने जीवन में अच्छे कर्मों को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, योग का मतलब अंततः हमें अपने जीवन में मोक्ष प्राप्त करने से है। हमारे हिंदू धर्म में पुनर्जन्म की अवधारणा है। हमारे विद्वानों ने जो हमें ज्ञान दिया है, उसे हमें अपने जीवन में उतारना बहुत जरूरी है। तभी हम सफल कर्मयोगी बनेंगे। उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों से कहा कि, विकसित भारत बनाने के लिए हमें अपने कार्यों और कार्य अवधि को भी बढ़ना होगा।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुशील मंडेरिया ने कहा कि, दुनिया में सबसे बड़े कर्म योगी ‘सूर्य भगवान’ है। युवाओं में सबसे बड़े कर्मयोगी विवेकानंद हैं। सत्य में हरिश्चंद्र है। उन्होंने कहा कि, आपका जो कर्म है, उसे पूरा करना और सफलतापूर्वक पूरा करना ही कर्म योग है। उन्होंने आवाहन किया कि, हम सभी को अपने कार्यों को पूरे समर्पण के साथ करना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन केंद्र की उपनिदेशक अनीता कौशल द्वारा किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।

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