सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के तारतम्य में आयोजित द्वि -दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिवस विश्वविद्यालय सभागार में निदेशक सी. वी. रमन पर आधारित एक शॉर्ट फिल्म (डॉक्यूमेंट्री) का प्रदर्शन किया गया। इसके पूर्व क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम के समापन सत्र में सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के इनक्यूबेशन सेंटर की प्रभारी निदेशक प्रज्ञा ओझा द्वारा द्वि -दिवसीय कार्यशाला का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में निदेशक भारत शरण सिंह, अध्यक्ष, मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग, भोपाल उपस्थित रहे।


उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि, विज्ञान में चार चीजें महत्वपूर्ण है, सर्च, रिसर्च, इन्वेंशन और इनोवेशन। निदेशक सिंह ने सी.वी. रमन द्वारा रमन प्रभाव की खोज की पृष्ठभूमि की विस्तार से चर्चा की। निदेशक सिंह ने कहा कि, विकसित भारत में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है। उन्होंने जेम्स वाट के भाप के इंजन तथा थॉमस अल्वा एडिसन के बल्ब के आविष्कार की विस्तार से चर्चा की। निदेशक भरत शरण सिंह ने कहा कि, हमारे पुराने गन्थों में तमाम वैज्ञानिक उपलब्धियां भरी पड़ी है। लेकिन ये ग्रंथ संस्कृत में होने के कारण जन सुलभ नहीं हो पाए। मैक्स मूलर ने इनका अंग्रेजी में जब अनुवाद किया तो पूरा विश्व भारत की इस धरोहर से अवगत हो पाया। उन्होंने कहा कि, भारत में 1600 वर्ष पूर्व लोहा बनाने की उच्च तकनीक विकसित थी। उन्होंने भारत में शून्य के अविष्कार, वैदिक गणित आदि उपलब्धियां से विद्यार्थियों को परिचित कराया। उन्होंने उपस्थित युवाओं को विज्ञान विषय में नवाचार करने हेतु प्रोत्साहित किया। इस संदर्भ में उन्होंने मृदंग के आविष्कार के पीछे की रोचक कहानी की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि, हमें भारतीय ग्रंथों में पुनः शोध करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु संजय तिवारी द्वारा की गई। उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, भाप के इंजन के आविष्कार ने ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति ला दी जिससे ब्रिटेन ने पूरी दुनिया पर राज किया। इसी प्रकार अमेरिका ने तेल के क्षेत्र में आविष्कार के दम पर पूरे विश्व पर राज किया। उन्होंने कहा कि विज्ञान और नवाचार के आधार पर ही भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाया जा सकता है। निदेशक तिवारी ने बताया कि वैज्ञानिक शोध में निरीक्षण और धैर्य का बहुत बड़ा योगदान होता है। शोध के लिए जब कोई विचार लो उस पर मनन करो। शोध में हमेशा इच्छा शक्ति, कौशल और ईमानदारी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा कि, रिसर्च में पैसा लगता है, और इनोवेशन के माध्यम से पैसा वापस आ जाता है। डॉ. तिवारी ने कहा भारत के डीआरडीओ और इसरो वैज्ञानिक शोध की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं। भारत लगातार प्रगति कर रहा है। इस संबंध में उन्होंने कई वैज्ञानिक परियोजनाओं की भी चर्चा की। अंत में उन्होंने कहा देश तभी आगे बढ़ता है जब उसकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी उन्नत होती है।
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतियोगिताओं में शामिल प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया एवं प्रशस्ति पत्र भी भेंट किए गए। रंगोली प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर कल्पना मिश्रा, द्वितीय स्थान पर राधा राय एवं तृतीय स्थान पर ज़ीनत परवीन रही। साथ ही क्विज प्रतियोगिता में प्रथम स्थान राधा राय, द्वितीय स्थान पर सत्य विजय यादव एवं तृतीय स्थान पर रक्षित खैरवा रहे। इसके पश्चात विश्वविद्यालय के अकादमिक समन्वय विभाग के निदेशक उत्तम सिंह चौहान द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया। इस दौरान कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के अंतरिक गुणवत्ता आश्वासन केंद्र की उपनिदेशक अनिता कौशल द्वारा किया गया। दो दिवसीय कार्यशाला के समापन सत्र में बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।

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