सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन और दर्शन पर आधारित व्याख्यान और भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया l इस आयोजन में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने भाषण प्रतियोगिता में भाग लिया l इस अवसर पर मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर और अकादमिक समन्वय विभाग के निदेशक उत्तम सिंह चौहान मुख्य वक्ता रहे l कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलगुरु के. सी. गुप्ता द्वारा की गई l


मुख्य वक्ता डॉक्टर उत्तम सिंह चौहान ने देवी अहिल्या के जीवन और दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर का शासन हमारे लिए सुशासन का एक आदर्श मॉडल था l उन्होंने भारत में सांस्कृतिक एकता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई l डॉ. चौहान ने कहा कि देवी अहिल्या ने अपने राजनीतिक कूटनीतिक कुशलता का उदाहरण प्रस्तुत किया, पूना के राघव पेशवा ने जब होलकर राज्य पर कब्जा करने के इरादे से अपनी सेना के साथ आगे बढ़ रहे थे तो देवी अहिल्या ने अपनी महिला सेना बनाई थी और राघव के सामने यह संदेश भिजवाया कि अगर आप युद्ध में हमें हरा देते हैं तो हमारा कुछ नहीं जाएगा लेकिन अगर आप महिलाओं से हार जाते हैं तो आपकी बहुत बदनामी होगी l उनके इस कूटनीतिक चतुराई के सामने राघव ने होलकर पर चढ़ाई करने का इरादा छोड़ दिया l डॉ. चौहान ने इस बात पर विशेष बल दिया कि देवी अहिल्या ने उस समय से ही राज्य के विकास में निजीकरण को आगे बढ़ाया और उसके कई प्रमाण हमें आज भी देखने को मिलते हैं l देवी अहिल्या ने शिवलिंग के प्रतीक का इस्तेमाल अपने सुशासन हेतु किया जिससे सर्व स्वीकारता हासिल हो सके l
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलगुरु के. सी . गुप्ता ने कहा कि 1787 में बंगाल गजट में यह बात छपी थी की अहिल्या बाई होलकर देवी के रूप में पूजी जाएंगी l जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें एक संत शासक कहा था l देवी अहिल्या ने 28 वर्षों तक राज किया l उन्होंने प्रशासनिक और सांस्कृतिक कार्य के साथ-साथ धर्म स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई l उन्होंने गया ,बनारस आदि शहरों में सैकड़ो मंदिरों का जीर्णोध्धार कराया l उन्होंने अपने शासनकाल में शिक्षा और कला को बढ़ावा दिया और महिला सशक्तिकरण पर विशेष कार्य किया l वे भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शासक रही है l
कार्यक्रम का संयोजन और विषय प्रवर्तन किया विश्वविद्यालय के विद्यार्थी सहायता विभाग के निदेशक रतन सूर्यवंशी ने l उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय देवी अहिल्या की 300 वी जन्म दिवस के अवसर पर यह कार्यक्रम आयोजित कर रहा है l देवी अहिल्या के सुशासन को जन-जन तक पहुंचाना हमारी सरकार का प्रयास है l इस हेतु सरकार ने कई जन कल्याणकारी योजनाएं चालू की है l
धन्यवाद ज्ञापित करते हुए विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉक्टर सुशील मंडेरिया ने कहा कि देवी अहिल्या को उनके शौर्य, वीरता और ममत्व के लिए याद किया जाता है l वह एक सशक्त नारी शासक थी l वह हमेशा धार्मिक समानता में विश्वास करती थी l उन्होंने राष्ट्र धर्म के लिए सर्वस्व त्याग किया l

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