सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के सभागार में “बौद्धिक संपदा अधिकार और इसका उद्यमियों तथा अन्वेषकों के लिए महत्व” विषय पर व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि एवं मुख्य वक्ता मोना पुरोहित, विधि संकाय अध्यक्ष, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि, हम सभी को बौद्धिक संपदा कानून के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। कोई व्यक्ति बौद्धिक संपदा का अधिकारी तभी होता है, जब वह अपनी परिकल्पना को प्रकट रूप में प्रस्तुत कर पाता है।

बौद्धिक संपदा और बौद्धिक संपदा अधिकार में अंतर होता है। उन्होंने अपने व्याख्यान में बॉलर प्रोविजन की भी चर्चा की और उसे अन्वेषकों के लिए किस प्रकार महत्वपूर्ण है समझाया। निदेशक पुरोहित ने ट्रेड सीक्रेट, कॉपीराइट एक्ट के संबंध में विस्तार से चर्चा करते हुए समझाया। उन्होंने 2005 में हुए ट्रीप्स एग्रीमेंट के बारे में भी अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने, यह भी समझाया कि, किस प्रकार इन्वेंशन और इनोवेशन में अंतर होता है। कॉपीराइट इंटरनेशनल होता है, जबकि पेटेंट एक भौगोलिक क्षेत्र विशेष के लिए होता है, और पेटेंट केवल 20 साल के लिए मान्य होता है। निदेशक पुरोहित ने ट्रेडमार्क एक्ट 1999 तथा डिजाइन एक्ट 2000 पर भी चर्चा करते हुए कहा कि, अगर आप अच्छे उद्यमी और अन्वेषक बनना चाहते हैं, तो बौद्धिक संपदा अधिकार आपकी लिए बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।
कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता एवं मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में प्रोफेसर ऑफ प्रेक्टिस प्रो. शैलेंद्र जायसवाल ने अन्वेषण विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, हमे यह समझना होगा की अन्वेषक क्या होता है ? उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि, किसी भी अन्वेषण के लिए तीन बातें आवश्यकहैं कि, क्या आपका अन्वेषण फीजिबल है ? डिजायरेबल है या मूल्यवान है ? उन्होंने कहा कि, उद्यमी हमेशा आपदा में अवसर ढूंढ लेते हैं। उद्यमियों को अपना नजरिया बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने मुक्त शिक्षा संस्थानों के बारे में कहा कि, हमें शिक्षा को डिटेक्टिव मेथड से इंडक्टिव मेथड की ओर ले जाना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलगुरु संजय तिवारी ने अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि, भारत के परिप्रेक्ष्य में बौद्धिक संपदा अधिकार का बहुत महत्व है। हमें विकसित भारत बनाना है। पायरेटेड सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से हमें बचाना होगा और इसके संबंध में हमें जागरूकता भी फैलानी होगी। उन्होंने इस संबंध में विभिन्न प्रकार के उदाहरण देते हुए कहा कि, पेटेंट के मामले में भारत विश्व में छठवें नंबर पर है। हमें हर हालत में पायरेटेड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं करना है और इसके इस्तेमाल करने वालों को भी रोकना होगा।
कार्यक्रम की शुरुआत में विषय प्रवर्तन इन्क्यूबेशन सेंटर की प्रभारी प्रज्ञा ओझा द्वारा किया गया एवं अंत में आभार प्रदर्शन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ऑफ प्रेक्टिस बी.बी. शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय की वरिष्ठ सलाहकार सुश्री निधि रावल गौतम ने किया। इस अवसर पर भारी संख्या में विश्वविद्यालय परिवार के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।

#भोज_विश्वविद्यालय #बौद्धिक_संपदा_अधिकार #व्याख्यान #शिक्षा #IPR