सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में श्री लोकेंद्र ठक्कर, समन्वयक जलवायु परिवर्तन राज्यज्ञान प्रबंधन केंद्र, पर्यावरण विभाग, मध्य प्रदेश शासन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति संजय तिवारी द्वारा की गई एवं कार्यक्रम संयोजक के रूप में विश्विद्यालय के सुशील मंडेरिया उपास्थित थे। विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है, पृथ्वी पर बढ़ रहे जलवायु प्रदूषण को रोकना। पॉलिथीन हो या प्लास्टिक से जुडी कोई अन्य वस्तु हमारा प्रयास होना चाहिए कि, अगर हम समाज से, पर्यावरण से इसके इस्तेमाल को रोक न पाएं तो कम से कम अपने हाथों इसका इस्तेमाल दिन प्रति दिन काम करते जाएं। इसी सन्दर्भ में आज की चर्चा का विषय रहा ” प्लेनेट एंड प्लास्टिक “।
कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन करते हुए मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुशील मंडेरिया ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि, प्रकृति जो हमें मिली थी, वह नियोजित थी। किंतु हमने इसे काफी नुकसान पहुँचाया है। किसान धरती मां का सच्चा सेवक है। शहरीकरण के कारण धरती को लगातार नुकसान पहुंच रहा है। खेती योग्य भूमि सिकुड़ती जा रही है। हरियाली कम होने से धरती का तापमान बढ़ रहा है।
हमारे ग्लेशियर पिघल रहे हैं और मरुस्थलीकरण लगातार बढ़ रहा है। भूजल का अधिक दोहन किया जा रहा है। इससे मृदा में नमी की कमी होने से सूक्ष्मजीव नष्ट हो रहे हैं। जिससे हमारे कृषि को नुकसान पहुँच रहा है। खनिज पदार्थों के अधिक दोहन के कारण धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। इससे हमारी धरती लगातार जख्मी हो रही है। डॉ. मंडेरिया ने कहा कि, भारत के पश्चिमी घाट पर खनिज दोहन के कारण वर्षा चक्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बड़े-बड़े बांध पर्यावरण के लिए अच्छे नहीं हैं, इसका धरती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता जा रहा है।
इस अवसर पर बहु माध्यमीय शिक्षा विभाग के सह प्राध्यापक हेमंत सिंह केसवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में सबसे अधिक योगदान विकसित देशों का है। इसकी अपेक्षा विकासशील देशों का योगदान बहुत कम है। उन्होंने कहा कि, पर्यावरण का नुकसान करने में ग्रामीणों की अपेक्षा शहरी लोगों का ज्यादा योगदान है। भारतीय संस्कृति में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और वन्य जीवों की पूजा की जाती है। लेकिन भूमंडलीकरण के कारण हम लोग प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय की वरिष्ठ सलाहकार डॉ.साधना सिंह बिसेन ने किया तथा आईटी विभाग के निदेशक सुशील कुमार दुबे द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी तथा विद्यार्थी गण उपस्थित रहे।