सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में “समुदाय आधारित पारंपरिक जल संरक्षण” विषय पर आधारित एक व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में पद्मश्री सम्मानित उमाशंकर पांडे उपस्थित थे। उमाशंकर पांडे को उनके जल संरक्षण के उत्कृष्ठ कार्य पर “जल पुरुष” का सम्मान दिया जा चुका है। साथ ही भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से भी नवाजा है। भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने उन्हें जल योद्धा का पुरस्कार प्रदान किया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति संजय तिवारी द्वारा की गई एवं कार्यक्रम संयोजक के रूप में विश्विद्यालय के कुलसचिव सुशील मंडेरिया उपास्थित थे।
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित उमाशंकर पांडे ने अपने वक्तव्य की शुरुआत देश के पांच सबसे बड़े जल योद्धाओं का परिचय देते हुए की। उन्होंने कहा कि, वास्तव में भारत में पांच सबसे बड़े जल योद्धा हुए हैं, सबसे पहले भागीरथ जिन्होंने अथक प्रयास कर गंगा को पृथ्वी पर उतारा, दूसरी जल योद्धा थी माता अनुसुइया जिनने मंदाकिनी नदी की पृथ्वी का मार्ग दिखाया, तीसरे जल योद्धा थे राजा भोज जिन्होंने अपने राज्य में भोपाल के तालाब सहित कई बड़े-बड़े तालाबों का निर्माण करवाया, चौथी जल अयोध्या थीं रानी दुर्गावती जिन्होंने अपने गोंडवाना क्षेत्र में हजारों की संख्या में तालाब बनवाए और पांचवी जल योद्धा थी देवी अहिल्याबाई होलकर जिन्होंने अपने राज्य में और राज्य के बाहर भी कई बावड़ी और तालाबों का निर्माण करवाया।
उन्होंने कहा कि,राजा भोज द्वारा लिखित जल विज्ञान पुस्तक लगभग 1200 साल पहले लिखी गई थी। जल के बारे में जानना है तो, उसे अवश्य पढ़ना चाहिए। श्री पांडे ने कहा कि, “पानी बनाया नहीं जा सकता लेकिन बचाया अवश्य जा सकता है”। हमें जल क्रांति लानी होगी और यह सिर्फ जन क्रांति से आएगी। जल स्वराज आएगा तो जन स्वराज आएगा। उन्होंने कहा कि, अच्छी संतान ही अच्छे राष्ट्र के लिए कार्य करती है। इस दौरान उन्होंने स्वत्रंत्रता संग्राम मंक मंगल पांडे के योगदान की भी चर्चा की। पांडे ने कहा कि, आपको पानी बचाना है। पेड़ लगाना है। खेत में मेढ़ बनाने का निर्णय लें, पेड़ लगाइए। खेत की मिट्टी खेत में रहेगी, तो इससे काफी हद तक जल संरक्षण हो सकेगा मेरे इसी मॉडल पर आज देश के 1050 गांव में यह प्रयोग दोहराया जा रहा है। जिसने माता-पिता को प्रसन्न कर लिया उसे कभी मंदिर जाने की जरूरत नहीं होती।
आज पूरी दुनिया में पानी का संकट है। इस संबंध में उन्होंने भारत के बेंगलुरु और चेन्नई जैसे शहरों का भी उदाहरण दिया है। हमें अपने जीवन जीने की कला में परिवर्तन लाना होगा। भारतीय धर्म परंपरा में शुरू से ही पानी का महत्व रहा है। उन्होंने कहा जल में ही जीवन है, पानी से ही विश भी बनता है और पानी से अमृत भी बनता है। यह सृष्टि जो हरी भरी दिख रही है, यह सब पानी से ही है। कार्यक्रम का आयोजन मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के विद्यार्थी सहायता और क्षेत्रीय सेवाएं विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मंच संचालन मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय की वरिष्ठ सलाहकार साधना सिंह बिसेन द्वारा किया गया तथा आभार प्रदर्शन विश्वविद्यालय के निदेशक रतन सूर्यवंशी द्वारा किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार के समस्त विद्यार्थी, शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारी गण उपस्थित रहे।