सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में आज “भारतीय पुनर्वास परिषद” की “शीर्ष परामर्श दात्री समिति” का दौरा संपन्न हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता शरणजीत कौर, भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा की गई। इसके साथ ही समिति की अन्य सदस्यों में एवम आर सी आई के मेंबर सेकेट्री विकास त्रिवेदी, शालिनी सिंह तथा प्रो. नीरू राठी सहित मध्य प्रदेश सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के कमिश्नर संदीप रजक उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण देते हुए मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के विशेष शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष हेमंत केशवाल ने कहा कि, मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में बी एड विशेष शिक्षा पाठ्यक्रम की शुरुआत सन 2000 में हुई थी और यह पिछले 25 वर्षों से लगातार चल रहा है। हमारे लगभग 15000 एलुमिनाई है। उन्होंने कहा कि, हम विशेष शिक्षा में कुछ शोध आधारित पाठ्यक्रम चालू करना चाहते हैं। साथ ही विशेष शिक्षा में एम एड पाठ्यक्रम भी चालू करना चाहते हैं। डॉ. केसवाल ने इस बात पर भी विशेष जोर दिया कि, हम अपनी शिक्षा में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखते हैं।
इस अवसर पर मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय की आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन केंद्र की निदेशक अनीता कौशल ने विश्वविद्यालय की स्थापना के उद्देश्य, अकादमिक पाठ्यक्रम, उपलब्धियां, कार्यप्रणाली तथा अधो संरचना के बारे में समिति के समक्ष एक प्रस्तुतीकरण किया।
समिति एवम भारतीय पुनर्वास परिषद की अध्यक्ष, शरणजीत कौर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, कोई संस्थान तब तक तरक्की नहीं करते जब तक उनके अधिकारियों और कर्मचारियों में जुनून नहीं होता । उन्होंने भोज मुक्त विश्वविद्यालय और भारतीय पुनर्वास परिषद दोनों का मकसद एक बताया । शरणजीत ने कहा कि, आज देश में कितने दिव्यांग लोग हैं।
इसकी संख्या जानना हमारे लिए एक चुनौती है क्योंकि हम इसी आधार पर यह आकलन कर सकते हैं कि आने वाले समय में हमें कितने विशेष शिक्षकों की आवश्यकता होगी? कितने मनोवैज्ञानिकों की आवश्यकता होगी? डॉ. कौर ने कहा कि, हर राज्य में दिव्यांग बच्चों की पहचान का एक सर्वे होना चाहिए। जिससे हमें एक डाटा उपलब्ध हो सके। जब बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बनता है, इस समय डॉक्टर के द्वारा दिव्यंका वाले बच्चों की स्क्रीनिंग हो जाना चाहिए।यह स्क्रीनिंग की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग को लेनी होगी । इसी क्रम में मध्य प्रदेश शासन के निशक्तता कमिश्नर संदीप रजक ने अपने उद्बोधन में कहा कि, भारतीय पुनर्वास परिषद के अध्यक्ष की इच्छा अनुसार मध्य प्रदेश में सभी कार्य पूर्ण किए जाएंगे। आज मध्य प्रदेश में हमने दिव्यांगजनों के कार्ड प्रत्येक जिले में विशेष शिविर लगाकर बनाए हैं। श्री रजक ने कहा कि, हर विद्यालय में एक-एक विशेष शिक्षक होना चाहिए और हर शासकीय स्कूल में एक विशेष शिक्षक तो होना ही चाहिए। इस प्रकार भविष्य में हमें बहुत बड़ी संख्या में विशेष शिक्षकों की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि, भोज विश्वविद्यालय में फाउंडेशन कोर्स को फिर से चालू करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे, मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति संजय तिवारी ने कहा कि , दिव्यांगजन समस्त मानसिक और शारीरिक बाधाओं को पार कर करते हुए तरक्की कर रहे हैं। उन्हें सहानुभूति नहीं चाहिए बल्कि उन्हें सामान व्यवहार चाहिए और सम्मान चाहिए। डॉ. तिवारी ने कहा कि, 45% से ज्यादा बच्चे जो दिव्यांग है वह अशिक्षित है । उन्होंने बताया कि, दिव्यांग जनों के लिए विशेष कानून पारित किया गया है। उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कहा कि, बीएड विशेष शिक्षा का पाठ्यक्रम एक बार फिर से विश्वविद्यालय का ध्वजवाहक पाठ्यक्रम बनेगा।