वित्त मंत्रालय ने इस वित्तीय वर्ष के लिए 6.5-7% की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान बरकरार रखा है। यह अनुमान मजबूत घरेलू मांग, बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश, और सरकार की विभिन्न नीतिगत सुधारों पर आधारित है। विशेष रूप से, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) और मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेश आकर्षित करने में अहम भूमिका निभाई है।

महामारी के बाद तेजी से उभर रही अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए सरकार ने बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण योजनाओं में निवेश बढ़ाया है। सड़कें, रेलवे, बंदरगाह और एयरपोर्ट के विस्तार के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत 100 लाख करोड़ रुपये के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को तेजी से पूरा करने का लक्ष्य है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी।

मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने और विकास की गति को बनाए रखने के बीच संतुलन साधने के लिए सरकार की नीतियों को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। विश्वभर में आर्थिक अनिश्चितताओं और ऊर्जा संकट के बावजूद भारत का आर्थिक परिदृश्य अपेक्षाकृत स्थिर रहा है। चालू वित्त वर्ष में निर्यात को बढ़ावा देने के प्रयास भी जारी हैं, विशेष रूप से फार्मा, ऑटोमोटिव और टेक्सटाइल क्षेत्रों में।

अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के बावजूद, सरकार की योजनाएं और नीतिगत सुधार घरेलू उद्योगों और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित कर रहे हैं, जिससे भारत एक स्थिर और मजबूत विकास की राह पर अग्रसर है।

भारत का यह विकास मॉडल न केवल वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ करेगा, जिससे दीर्घकालिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा |

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