भारत का लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण देश की रक्षा और तकनीकी क्षमताओं में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह मिसाइल 1,500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक पांच गुना से अधिक ध्वनि की गति से मार करने में सक्षम है। यह परीक्षण न केवल भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करता है, बल्कि बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में उसकी अग्रणी भूमिका को भी रेखांकित करता है।
हाइपरसोनिक तकनीक पर केवल कुछ गिने-चुने देश ही महारत रखते हैं, और भारत का इस समूह में शामिल होना उसकी रक्षा प्रणाली की मजबूती और वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। इस तकनीक की गति और अद्वितीयता इसे आधुनिक रक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ी चुनौती बनाती है।
हालांकि, ऐसी उपलब्धियां वैश्विक हथियारों की दौड़ को भी बढ़ावा देती हैं। भारत को अपनी इस ताकत का उपयोग संतुलित तरीके से करना होगा। जहां एक ओर यह तकनीकी विकास हमारे सामरिक हितों को सुरक्षित करता है, वहीं दूसरी ओर यह विश्व को शांति और सहयोग का संदेश देने का माध्यम भी बन सकता है।
इसके साथ ही, इस प्रकार के रक्षा निवेश स्वास्थ्य, शिक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की उपेक्षा नहीं कर सकते। राष्ट्रीय सुरक्षा का व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए, मानव और आर्थिक सुरक्षा को भी प्राथमिकता देनी होगी।
भारत का यह हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण उसकी संप्रभुता की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। लेकिन इस सफलता का जश्न मनाने के साथ-साथ हमें इस शक्ति के साथ आने वाली जिम्मेदारियों को भी समझना होगा
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