रायपुर । कोविड-19 के इस दौर में हम सभी सकारात्मक सोच के साथ एक दूसरे के दुख के सहभागी बनें, अपनी क्षमता के अनुसार एक-दूसरे का सहयोग करें। मानवता की खातिर जो भी काम किया जा सकता है, वह हमें सबको मिलकर करना चाहिए। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज पण्डित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़़ के पंचम दीक्षांत-समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमें भविष्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे संसाधनों की ज़रूरत पड़ेगी, जो भौतिक दूरियों के बावजूद हमारे ज्ञान में अभिवृद्धि कर सकें। मुक्त विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

राज्यपाल ने सभी स्वर्ण-पदक एवं उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। राज्यपाल ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सुंदर लाल शर्मा को नमन भी किया।

राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालय-महाविद्यालयों में व्याख्याताओं और प्राध्यापकों के पद रिक्त हैं। बस्तर-सरगुजा जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में यह समस्या ज्यादा है। इसके कारण शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। साथ ही शिक्षण संस्थानों को अच्छी ग्रेडिंग नहीं मिल पाती है, जिसके कारण उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से सहायता राशि मिलने में कठिनाई होती है। उन्होंने इन रिक्तियों की जल्द पूर्ति किये जाने की आवश्यकता जताई।

राज्यपाल ने कहा कि समन्वय समिति की बैठक काफी दिनों से नहीं हुई है, इसे जल्द बुलाई जाए, ताकि प्रदेश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के लिए नीतिगत निर्णय लिये जा सके।  उन्होंने पटेल की महाविद्यालयों में नैक ग्रेडिंग के लिए किये जा रहे प्रयासों के लिए सराहना की।

राज्यपाल ने कहा कि दूरस्थ माध्यम से उच्च शिक्षा, ऐसे शिक्षार्थियों के लिए वरदान साबित होती है, जिन्होंने किसी कारणवश अपनी शिक्षा बीच में छोड़ दी है। ऐसे युवाओं तक शिक्षा पहुँचाना हमारी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियों में से एक है। ऐसे शिक्षार्थी प्रदेश और देश के विकास में योगदान दे सकें, इसके लिए इन्हें तैयार करना हमारा उद्देश्य और कर्तव्य दोनों होना चाहिए। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह विश्वविद्यालय पूरे मनोयोग से कार्य कर रहा है, यह प्रसन्नता का विषय है।

राज्यपाल ने कहा कि हम लंबे समय से कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। सभी शिक्षण संस्थान बंद पड़े हैं। इसका प्रभाव विद्यार्थियों और हम सब पर भी पड़ा है। यह अच्छी बात है कि ऑनलाईन तरीके से शिक्षा दी जा रही है, लेकिन इसकी एक सीमा है। उन्होंने अन्य विकल्पों पर भी विचार करने की आवश्यकता जताई।

सुश्री उइके ने छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के आर्थिक, सामाजिक विकास के लिए विश्वविद्यालय द्वारा जैविक कृषि, उद्यानिकी, पशुधन, वनवासी तथा महिला उत्थान जैसे विषयों पर पाठ्यक्रम संचालित किये जाने का सुझाव दिया।

इस अवसर पर भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़, जयसिंह अग्रवाल, मंत्री राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, उमेश पटेल, उच्च शिक्षा मंत्री, धरमलाल कौशिक, नेता प्रतिपक्ष,  प्रोफेसर नागेश्वर राव, कुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय नई दिल्ली, अरूण कुमार साव, सांसद, बिलासपुर, श्रीमती रश्मि सिंह, संसदीय सचिव, पारसनाथ राजवाड़े, शैलेष पांडेय, रजनीश सिंह, प्रोफेसर डॉ. बंश गोपाल सिंह, कुलपति, पं. सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे।