सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों ने 1971 के जंग से जुड़े राष्ट्रीय स्मारक को तोड़ डाला है। मुजीबनगर में स्थित यह स्मारक भारत-मुक्तिवाहिनी सेना की जीत और पाकिस्तानी सेना की हार का प्रतीक है।
16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान सेना के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने हजारों सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था। भारतीय सेना के ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट-जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने उन्होंने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे।
इस स्मारक में इसी छवि को दिखाया गया है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस घटना पर चिंता जताई है। उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से कानून व्यवस्था मजबूत करने की गुजारिश की है।
शशि थरूर ने लिखा है कि भारत इस वक्त बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा है, लेकिन इस तरह की अराजकता को कभी भी माफ नहीं किया जा सकता।
इस स्मारक में पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी को भारतीय सेना और बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी को ‘सरेंडर लेटर’ पर हस्ताक्षर करते हुए दर्शाया गया है।
थरूर बोले- ऐसी तस्वीरें देखना दुखद
शशि थरूर ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “साल 1971 में मुजीबनगर में शहीद स्मारक परिसर में मूर्तियों को भारत विरोधी उपद्रवियों ने तोड़ दिया। ऐसी तस्वीरें देखना दुखद है। यह घटना कई जगहों पर भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, मंदिरों और हिंदू घरों पर हुए हमलों के बाद हुई है। हालांकि कई ऐसी खबरें भी आई हैं कि मुस्लिम नागरिक, अल्पसंख्यक घरों और मंदिरों की हिफाजत कर रहे हैं।
शशि थरूर ने आगे कहा कि कुछ आंदोलनकारियों का एजेंडा बिल्कुल साफ है। यह जरूरी है कि मोहम्मद यूनुस और उनकी अंतरिम सरकार कानून और व्यवस्था बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाए। उन्होंने आगे कहा कि भारत इस वक्त बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा है, लेकिन इस तरह की अराजकता को कभी भी माफ नहीं किया जा सकता।
मोहम्मद यूनुस भ्रष्टाचार केस में बरी, चार दिन में दो मामलों में मिली राहत
अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में रविवार को बरी कर दिया गया है। बांग्लादेश के एंटी करप्शन कमीशन (भ्रष्टाचार विरोधी आयोग) ने यूनुस पर भ्रष्टाचार के संबंध में एक केस दर्ज किया था।
बांग्लादेश में 3 दिन पहले ही अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। अंतरिम सरकार के गठन से एक दिन पहले भी यूनुस को श्रम कानूनों के उल्लंघन से जुड़े एक मामले में बरी किया गया था। भ्रष्टाचार के मामले में सरकार में सलाहकार के तौर पर शामिल नूरजहां बेगम को भी बरी किया गया है। बांग्लादेशी अखबार डेली स्टार के मुताबिक एंटी करप्शन कमीशन ने ढाका कोर्ट में दाखिल अपनी शिकायत को वापस ले लिया है।
ग्रामीण टेलीकॉम में भ्रष्टाचार और नियमों के उल्लंघन का आरोप
मोहम्मद यूनुस पर ग्रामीण टेलीकॉम के चेयरमेन रहते हुए श्रम कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगा था। यूनुस के अलावा ग्रामीण टेलीकॉम के डायरेक्टर अशरफुल हसन, मोहम्मद शाहजहां और वर्तमान अंतरिम सरकार में सदस्य नूरजहां बेगम को भी श्रम कानूनों के उल्लंघन का आरोपी बनाया गया।
इस साल 1 जनवरी को सभी आरोपियों को 20 हजार रूपए के जुर्माने के साथ 6 महीने की सजा सुनाई गई थी। इसके अलावा जून में एंटी करप्शन कमीशन ने यूनुस समेत अन्य 13 लोगों पर भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया था इन सभी पर ग्रामीण टेलीकॉम के कर्मचारियों के प्रोफिट फंड से लगभग 18 करोड़ रुपए के गबन का आरोपा था। यूनुस को आज इसी मामले में बरी किया गया है।