सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में कानून मंत्री आसिफ नजरुल ने शुक्रवार को कहा कि अगर भारत पूर्व PM शेख हसीना के प्रत्यर्पण से इनकार करने की कोशिश करता है तो इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, इसके बाद नजरुल ने यह टिप्पणी की। बांग्लादेशी अदालत ने गुरुवार को आदेश दिया था कि वे हसीना को 18 नवंबर तक उसके समक्ष पेश करें।
मंत्री नजरुल ने कहा कि बांग्लादेश और भारत के बीच पहले से ही एक प्रत्यर्पण संधि है। भारत नियमों का हवाला देकर शेख हसीना को यहां भेजने से इनकार कर सकता है, लेकिन ईमानदारी से कहें तो भारत हसीना को बांग्लादेश भेजने के लिए बाध्य है।
विदेश मंत्रालय बोला- सुरक्षा वजहों से भारत में शेख हसीना
शेख हसीना पर छात्र आंदोलन के दौरान हिंसा और मानवाधिकार के उल्लंघन के आरोप हैं। उन पर 200 से ज्यादा मामले चल रहे हैं।
शेख हसीना 5 अगस्त को बड़े पैमाने पर हिंसा होने के बाद अपनी छोटी बहन के साथ भारत आ गई थीं। इसके बाद बांग्लादेश ने उनका राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिया था।
भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा था कि शेख हसीना सुरक्षा वजहों से भारत आई थीं और वह अभी यहीं पर हैं। माना जाता है कि शेख हसीना को किसी अज्ञान जगह पर रखा गया है। तब से उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है।
नजरुल ने पिछले महीने कहा था कि बांग्लादेश औपचारिक रूप से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेगा, जब मुकदमा प्रक्रिया शुरू होगी। वहीं, शेख हसीना के विरोधी नेता रूहुल कबीर रिजवी ने कहा कि हसीना को शरण देना एक हत्यारे और अपराधी को शरण देने जैसा है। हमें उसे उचित कूटनीतिक प्रक्रिया के माध्यम से वापस लाना होगा।
बांग्लादेश के विदेश मंत्री मोहम्मद तौहीद हुसैन ने सितंबर में कहा था कि शेख हसीना को सौंपना है या नहीं यह भारत तय करेगा।
भारत-बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि को और आसान बनाया गया
भारत-बांग्लादेश के बीच हुए प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक दोनों देशों को गिरफ्तारी वारंट के अलावा अपराध के सबूत भी साझा करने होते थे। हालांकि, साल 2016 में इस नियम को खत्म कर दिया गया था ताकि अपराधियों का प्रत्यर्पण जल्दी हो सके।
संधि के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति ने राजनीति से जुड़ा कोई अपराध किया है तो उसके प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है, लेकिन किस अपराध को राजनीतिक नहीं कहा जाएगा, इसकी लिस्ट काफी लंबी है। इनमें हत्या, गुमशुदगी, बम विस्फोट और आतंकवाद जैसे अपराध शामिल हैं। ऐसे संगीन मामले में प्रत्यर्पित करने से इनकार नहीं किया जा सकता।