सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : बांग्लादेश में इलॉन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी स्टारलिंक ने मंगलवार से अपनी सेवाएं शुरू कर दी हैं। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने इसके लिए देश की जनता को बधाई दी।

उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा- देश में स्टारलिंक का हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट दो पैकेज के साथ उपलब्ध हो चुका है। एक प्लान में लोगों को 6000 टका (4,203 भारतीय रुपए) और दूसरे प्लान में 4200 टका (2,942 भारतीय रुपए) खर्च करने होंगे।

हालांकि स्टारलिंक का सेटअप के लेने लिए उन्हें अलग से 47000 टका (32,930 भारतीय रुपए) खर्च करने होंगे। इसमें उन्हें एंटीना और मॉडेम मिलेगा। यूजर्स को इन प्लान में असीमित डेटा के साथ 300 mbps तक की स्पीड मिलेगी।

दूर-दराज इलाकों में भी हाई स्पीड इंटरनेट

यूनुस स्टारलिंक को लेकर कह चुके हैं कि इसे राजनीति से अलग रखा गया है। मार्च में उन्होंने कहा था कि भविष्य में अगर देश में कोई राजनीतिक संकट भी पैदा होता है, तो इससे स्टारलिंक सर्विस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पिछले साल जुलाई में छात्र आंदोलन के दौरान देशभर में इंटरनेट पर बैन लगा दिया गया था। यूनुस ने इसी का जिक्र कर रहे थे।

स्टारलिंक एक सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट देने वाली सेवा है। इसका मतलब है कि यह जमीन के तारों और टावरों पर निर्भर नहीं करती, बल्कि आसमान में घूमती सैटेलाइट्स से इंटरनेट देती है।

इस वजह से यह पूरे बांग्लादेश में, यहां तक कि गांवों और दूर-दराज के इलाकों (जैसे सुंदरबन) में भी इंटरनेट पहुंचा सकती है। हालांकि शुरुआत में यह सेवा किन-किन इलाकों में मिलेगी, यह अभी साफ नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि यह पूरे देश में काम करेगी।

यूजर्स का खर्च 5 गुना ज्यादा बढ़ेगा

स्टारलिंक की सेवा सस्ती नहीं है। बांग्लादेश में आमतौर पर एक यूजर्स एक महीने तक मुफ्त इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए 600-650 रुपए के प्लान इस्तेमाल करता है। स्टारलिंक के लिए उसे 5 गुना ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। ऐसे में यह आम लोगों के लिए महंगा है, लेकिन जिन जगहों पर इंटरनेट नहीं पहुंचता, वहां यह बहुत काम की चीज है। इसके अलावा बाढ़, तूफान या इंटरनेट ब्लॉक जैसी स्थिति में भी यह काम करता रह सकता है।

स्टारलिंक को बांग्लादेश में लाने के लिए कंपनी को काफी दिक्कतें आईं। शुरुआत में हसीना सरकार और BTRC (टेलीकॉम विभाग) इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहा था। इसके साथ ही स्थानीय इंटरनेट कंपनियों ने भी सवाल उठाए कि जब वे हैं, तो स्टारलिंक की जरूरत क्यों है?

यूनुस ने 90 दिन की मोहलत दी, 56 दिन में शुरू

हालांकि इस साल फरवरी 2025 में इलॉन मस्क और मोहम्मद यूनुस के बीच फोन पर बातचीत हुई थी। इस दौरान बांग्लादेश में स्टारलिंक लाने को लेकर बातचीत हुई।

इसके बाद 25 मार्च को यूनुस ने आदेश दिया कि 90 दिन के भीतर स्टारलिंक की सर्विस शुरू हो जानी चाहिए। हालांकि देश में सिर्फ 56 दिन में ही इसकी शुरुआत हो गई।स्टारलिंक के मुताबिक दुनियाभर में 130 देशों में उसकी सेवा उपलब्ध है। भारत में भी इसे लाने को लेकर बातचीत जारी है। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2025 में ही यह भारत में भी लॉन्च हो सकता है।

4 सवाल-जवाब में स्टारलिंक के बारे में जानें…

सवाल 1- स्टारलिंक क्या है?

जवाब- स्टारलिंक सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट देती है। उसके पास पृथ्वी की निचली कक्षा में 7 हजार से ज्यादा सैटेलाइट का सबसे बड़ा सैटेलाइट नेटवर्क है। स्टारलिंक इंटरनेट के जरिए स्ट्रीमिंग, ऑनलाइन गेमिंग, वीडियो कॉल आसानी से किया जा सकता है।

इसमें कंपनी एक किट उपलब्ध करवाती है जिसमें राउटर, पावर सप्लाई, केबल और माउंटिंग ट्राइपॉड दिया जाता है। हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए डिश को खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। iOS और एंड्रॉयड पर स्टारलिंक का एप मौजूद है, जो सेटअप से लेकर मॉनिटरिंग करता है।

सवाल 2- यह कैसे अलग है?

जवाब- जियो और एयरटेल जैसी कंपनियां फाइबर ऑप्टिक्स, मोबाइल टावर से इंटरनेट देती हैं। स्टारलिंक सैटेलाइट नेटवर्क पर आधारित है। ये छोटे उपग्रहों, ग्राउंड स्टेशनों और यूजर टर्मिनल्स के जरिए काम करती है। इसमें फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं पड़ती।

सवाल 3- इसकी स्पीड क्या ज्यादा है?

जवाब- स्टारलिंक के सैटेलाइट ट्रेडिशनल सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के मुकाबले धरती से ज्यादा करीब (550 किमी) हैं। इससे तेज इंटरनेट मिलता है। स्टारलिंक का दावा है कि वह 150 MBPS तक स्पीड देती है, जो फाइबर ब्रॉडबैंड से कम है लेकिन पारंपरिक सैटेलाइट इंटरनेट से बेहतर।

सवाल 4- क्या स्टारलिंक इंटरनेट कंपनियों के लिए चुनौती है?

जवाब- स्टारलिंक और अन्य सैटकॉम सर्विसेज पारंपरिक इंटरनेट कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि इनकी पूरक सर्विस है। हालांकि, इनकी लागत ज्यादा है। स्टारलिंक के प्लान्स मौजूदा ब्रॉडबैंड प्लान्स के मुकाबले 18 गुना तक महंगे हैं। सरकार चाहे तो डिजिटल इंडिया योजना में यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड का इस्तेमाल करके कीमतें कम करने में मदद कर सकती है।

सैटेलाइट्स से आप तक कैसे पहुंचता है इंटरनेट?

सैटेलाइट धरती के किसी भी हिस्से से बीम इंटरनेट कवरेज को संभव बनाता है। सैटेलाइट के नेटवर्क से यूजर्स को हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट कवरेज मिलता है। लेटेंसी का मतलब उस समय से होता है जो डेटा को एक पॉइंट से दूसरे तक पहुंचाने में लगता है।

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