सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क– इंटीग्रेटेड ट्रेड- न्यूज़ भोपाल: नई दिल्ली: संसद के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। सीतारमण लगातार 7वीं बार बजट पेश करने वाली पहली महिला वित्त मंत्री बन गईं। लेकिन विपक्षी नेताओं ने इस बजट को लेकर गहरी निराशा व्यक्त की है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के प्रमुख विपक्षी नेता अखिलेश यादव और मायावती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

अखिलेश यादव का हमला: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, “इस बजट में यूपी के लिए कोई खास प्रावधान नहीं है। जब तक किसानों पर ध्यान नहीं दिया जाता और नौजवानों के लिए पक्की नौकरी का इंतजाम नहीं किया जाता, तब तक कोई बड़ा लाभ नहीं होने वाला।” उन्होंने आगे कहा, “यूपी के किसानों के लिए क्या प्रावधान किए गए हैं? अगर मंडी व्यवस्था मजबूत हो चुकी है, तो अब तक किसानों की आय दोगुनी क्यों नहीं हुई? नौजवानों को आधी-अधूरी नौकरी नहीं, पक्की नौकरी चाहिए।”

मायावती की नाराजगी:
बसपा प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया पर लिखा, “यह बजट गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, महिलाओं, मेहनतकशों और वंचित बहुजनों के लिए निराशाजनक है। इसमें सिर्फ अमीरों और धन्नासेठों का ख्याल रखा गया है। देश में जबरदस्त गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और पिछड़ेपन को देखते हुए यह बजट सुधारवादी नीतियों से कोसों दूर है।”

डिंपल यादव की प्रतिक्रिया: मैनपुरी से सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा, “महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बजट में कोई प्रावधान नहीं है। किचन और महंगाई पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है।”

कांग्रेस का भी विरोध:
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने बजट को जनता को भ्रमित करने वाला बताया। उन्होंने कहा, “इस बजट में रोजगार और महंगाई पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।”

यह देखना होगा कि इस बजट के बाद सरकार के इन घोषणाओं का जमीनी स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है और विपक्ष की नाराजगी को कैसे दूर किया जाता है।