सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क– इंटीग्रेटेड ट्रेड- न्यूज़ भोपाल: नई दिल्ली:आज सुबह 11 बजे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का बहुप्रतीक्षित बजट पेश करेंगी। बजट से पहले ही केंद्र सरकार ने कई चर्चित मुद्दों पर अपना रुख साफ कर दिया है। बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग से लेकर 8वें वेतन आयोग की सिफारिश तक, सरकार ने सभी को खारिज कर दिया है।

बिहार को तगड़ा झटका

नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को सरकार ने स्पष्ट रूप से नकार दिया है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) द्वारा तय किए गए मानकों के अनुसार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। उन्होंने बताया कि इस दर्जे के लिए जिन प्रावधानों की आवश्यकता होती है, वे बिहार में नहीं हैं।

आंध्र प्रदेश की मांगें भी खारिज

चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने भी बजट से पहले अपनी तीन प्रमुख मांगें वित्त मंत्रालय को भेजी थीं। इनमें अनंतपुर, चित्तूर, कुडप्पा, कुरनूल, श्रीकाकुलम, विशाखापत्तनम और विजयनगरम जैसे पिछड़े जिलों के लिए बजटीय अनुदान, अमरावती के लिए वित्तीय सहायता और पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए समय पर धनराशि जारी करने की मांग शामिल थी। लेकिन टीडीपी महासचिव नारा लोकेश ने बताया कि राज्य ने विशेष राज्य का दर्जा मांगने का इरादा नहीं रखा है, जो पार्टी के पहले के रुख से एक महत्वपूर्ण बदलाव है।

8वें वेतन आयोग की सिफारिश पर भी ना

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में संशोधन के लिए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि जून 2024 में 8वें वेतन आयोग के गठन के लिए दो सिफारिशें प्राप्त हुई थीं, लेकिन वर्तमान में सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

बजट सत्र के पहले दिन की महत्वपूर्ण घोषणाएं

22 जुलाई को शुरू हुए बजट सत्र के पहले ही दिन सरकार ने अपनी तिजोरी टाइट करते हुए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कर दी हैं। बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को खारिज कर दिया गया है, जबकि 8वें वेतन आयोग के गठन पर भी कोई विचार नहीं किया गया है। इन फैसलों ने दोनों राज्यों के लिए बड़े झटके के रूप में सामने आए हैं।

इस तरह बजट 2024 से पहले ही मोदी सरकार ने अपने रुख स्पष्ट कर दिए हैं, जो कई राज्यों और सरकारी कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण संदेश हैं।