सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : गलत तरीके से हुई बैरिकेडिंग के कारण भी हो चुके दो हादसे

शहर में इन दिनों अलग-अलग निर्माण एजेंसियां काम कर रही हैं। कहीं ब्रिज का काम चल रहा तो कहीं सड़क निर्माण जारी है। इन स्थानों पर अव्यवस्था व लापरवाही बरतने से लोगों की जान आफत में है। रिंग रोड पर रेडिसन से राजीव गांधी चौराहे तक तो स्ट्रीट लाइट कभी चालू ही नहीं होती, लोग जान हथेली पर लेकर चल रहे हैं। यहां मेट्रो सहित तीन ब्रिज का निर्माण चल रहा है।

सत्य साईं और देवास नाका चौराहे पर ब्रिज निर्माण के कारण बीआरटीएस अस्त व्यस्त हो गया है। एमआर-10 के दोनों छोर बायपास और सुपर कॉरिडोर भी आफत भरे हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि कांट्रेक्टर कंपनी और निर्माण एजेंसियों ने जनता की जान जोखिम में डालने वाली अपनी लापरवाहियों को प्रशासन, नगर निगम व ट्रैफिक पुलिस के भरोसे छोड़ रखा है। एजेंसियों में तालमेल नहीं होने का खामियाजा संबंधित क्षेत्र के रहवासियों को भुगतना पड़ रहा है।

यह बने हुए हैं जनता की मुसीबत के प्रमुख कारण
निर्माण साइट पर की गई अव्यवस्थित बैरिकेडिंग, गड्ढों भरे डायवर्शन, खुदी सड़कें, अनियमित सिग्नल, रोड मार्किंग न होना, बंद स्ट्रीट लाइट यह सब नागरिकों की मुसीबत का कारण हैं। बैरिकेडिंग भी एक दम पास आने पर नजर आती है। डायवर्ट रूट बारिश के कारण चलने योग्य नहीं रहे। विशेषज्ञों का कहना है, निर्माण शुरू होने के साथ ही निगम के अफसरों से मिलकर यहां प्रकाश की वैकल्पिक व्यवस्था करना चाहिए थी। कांट्रेक्टर कहते हैं यह सब व्यवस्था करना हमारे अनुबंध में शामिल नहीं। इन स्थानों पर निर्माण कार्य एनएचएआई, एमपीआरडीसी, पीडब्ल्यूडी, मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन, नगर निगम और आईडीए मिलकर कर रहे हैं।

लवकुश चौराहा भी है खतरनाक
सुपर कॉरिडोर से आने वाले उज्जैन रोड पर मेट्रो जंक्शन, स्टेशन। आईडीए द्वारा एमआर-10 पर फ्लाई ओवर और उज्जैन रोड पर डबल डेकर ब्रिज बनाया जा रहा है। यहां अंधेरा रहता है। इसके अलावा लेफ्ट टर्न, सर्विस रोड, एमआर-10 व सुपर कॉरिडोर के दोनों ओर अंधेरा पसरा रहता है। बैरिकेड्स पर रेडियम के संकेतक भी नहीं हैं।

फूटी कोठी चौराहा पर ट्रैफिक भार
यहां भी ब्रिज निर्माण हो रहा है। सर्विस रोड पर भारी ट्रैफिक है, सब्जी मंडी भी यहीं हैं। यहां भी सुरक्षा इंतजाम नहीं के बराबर हैं।

बायपास बना जोखिम वाला मार्ग
यहां पर राऊ चौराहा, सर्विस रोड, खंडवा रोड, रालामंडल चौराहा, एमआर-10, बेस्ट प्राइज और अर्जुन बड़ौद पर निर्माण चल रहा है। यहां पर गड्ढों वाला डायवर्शन मार्ग, रात में अंधेरा रहता है, चौराहों पर बेतरतीब निर्माण परेशानी का कारण बने हुए हैं।

जान हथेली पर लेकर रिंग रोड से निकल रही है जनता
रिंग रोड के आधे हिस्से में मेट्रो निर्माण के अलावा खजराना, मूसाखेड़ी और आईटी पार्क चौराहे पर ब्रिज बन रहे हैं। खजराना पर हाई मास्ट है, लेकिन बैरिकेड्स पर रेडियम की पट्टी नहीं है। मूसाखेड़ी में डायवर्शन रोड बेहद खराब हैं। तीन इमली की ओर वाली भुजा पर मिट्टी का ढेर हैं। सड़क खुदी पड़ी है। डायवर्शन मोड पर बड़ा सा गड्ढा है। पूरी सड़क पर मिट्टी फैली है। आईटी पार्क पर बैरिकेडिंग नहीं है। आधी-अधूरी लाइट परेशान करती है।

बीआरटीएस भी अस्तव्यस्त
बीआरटीएस पर भंवरकुंआ, सत्य साईं चौराहा और देवास नाका पर फ्लाई ओवर बन रहे हैं। भंवरकुआं पर दोनों भुजाओं के आखिर में अंधेरा रहता है। सिटी बस लाइन भी अंधेरे में डूबी है। यही हाल सत्य साईं और देवास नाका का है।

यह व्यवस्था करना चाहिए थी निर्माण करने से पूर्व
1. प्रकाश व्यवस्था : साइट पर प्रकाश व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके लिए हैलोजन लगाना जरूरी होता है। स्ट्रीट लाइट तो हमेशा ही बंद रहती है। शहर के सभी निर्माण स्थलों पर अंधेरा पसरा है।
2. सूचना बोर्ड : क्या बना रहे हैं और ट्रैफिक डायवर्शन की जानकारी वाले बोर्ड लगाने चाहिए। परेशानी होने पर नागरिकों के लिए संपर्क नंबर। फ्लोरोसेंट पट्टी। बैरिकेड्स पर रेडियम पट्टी लगाई जाए। यह व्यवस्था किसी स्थान पर नहीं है।
3. मार्किंग : निर्माणाधीन चौराहों या सड़कों पर लेन मार्किंग नहीं है। डायवर्सन मार्किंग भी होनी चाहिए।
इस लापरवाही के हादसे

  • कुछ दिन पहले विजय नगर के पास मेट्रो की बैरिकेडिंग से हादसा हुआ था।
  • बायपास पर डायवर्शन के चलते दुर्घटनाएं हो रही हैं।

समाधान – निर्माण एजेंसी की है सभी तरह की जिम्मेदारी
तालमेल के काम करना जरूरी है। जनता को असुविधा न हो, इसकी जिम्मेदारी निर्माण एजेंसी की होती है। उसे दो तरह से काम करने की जरूरत है, एक- सुपरवाइज करें, दूसरा- परेशानी होने पर संबंधित एजेंसी समन्वय से काम करवाए। सही बैरिकेडिंग के साथ डायवर्शन सड़क बनाकर दें। पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था हो। वहां पड़े मटेरियल को व्यवस्थित रखवाएं। साइनेज बहुत जरूरी है।