भारतीय सेना मुख्यालय ने आज पुष्टि की कि सीमापार से भेजे गए स्वार्म ड्रोन ने स्वर्ण मंदिर की बाहरी दीवारों पर तीन बार हमले का प्रयास किया। इस प्रयास को समय रहते निष्क्रिय कर दिया गया, पर यह घटना केवल सुरक्षा का सवाल नहीं, आस्था की रक्षा की कसौटी भी है।

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर #GoldenTempleSecurity और #ProtectSacredSites ट्रेंड कर रहे हैं। ट्विटर पर नागरिकों ने चिंता व्यक्त की कि धार्मिक स्थलों की रक्षा में अभी भी खामियाँ हैं, जबकि Reddit के r/India समुदाय ने ‘सार्वजनिक सुरक्षा और आस्था का द्वंद्व’ पर गहरा विमर्श छेड़ा। द हिंदू ने अपनी संपादकीय में तटस्थ निगरानी राउंड्स की महत्ता बताई, जबकि इंडियन एक्सप्रेस ने स्थानीय सुरक्षा नेटवर्क और इंटेलिजेंस साझेदारी मजबूत करने का आग्रह किया।

इसमें केवल सैन्य चेतावनी ही पर्याप्त नहीं होगी। हमें ड्रोन डिटेक्शन झुंडों, स्मार्ट फेंसिंग और AI-आधारित निगरानी तंत्र स्थापित करना होगा, साथ ही स्थानीय पार्षदों और धार्मिक प्रतिनिधियों के साथ समन्वय बढ़ाना होगा, जिससे समुदाय स्वयं अपनी रक्षा में भूमिका निभा सके। धार्मिक स्थलों पर आस्था की चोट केवल विश्वासघात नहीं, सामाजिक सौहार्द का क्षय भी है।

भारत को याद रखना चाहिए कि हमारी विविधता हमारी ताकत है और आस्था की रक्षा में यह जुड़ाव आवश्यक है। प्रहार का जवाब कवच और संवाद दोनों से देना होगा, तभी ‘पवित्र आस्था पर प्रहार’ का कोई मौका नहीं बचेगा।

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