सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ‘अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ के उपलक्ष्य में ‘तकनीकी युग में मातृभाषा का अस्तित्व एवं चुनौतियाँ: सिंधी भाषा के विशेष संदर्भ में’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई।
इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि कैलाशचंद्र पंत, मंत्री संचालक, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, मध्यप्रदेश, विशिष्ट अतिथि अशोक कडेल, संचालक, मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी, भोपाल, एवं अध्यक्ष खेमसिंह डहेरिया, कुलगुरु, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय उपस्थित रहे। साथ ही कई गणमान्य विद्वानों एवं विशेषज्ञों ने भाषा संरक्षण और तकनीकी युग में मातृभाषा की चुनौतियों पर अपने विचार साझा किए
भाषा के संरक्षण पर जोर मुख्य अतिथि कैलाशचंद्र पंत ने अपने संबोधन में कहा कि भाषा केवल संचार का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति और संस्कारों का संवाहक भी है। उन्होंने तकनीकी युग में भाषा की संजीवनी शक्ति को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि “गूगल और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करें, लेकिन मातृभाषा के मूल्यों को न भूलें।”
कुलगुरु खेमसिंह डहेरिया ने मातृभाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि “मातृभाषा ही व्यक्ति की सोच और अभिव्यक्ति की आधारशिला होती है।” उन्होंने इस संगोष्ठी को मातृभाषा के प्रचार-प्रसार के लिए महत्वपूर्ण पहल बताया और विश्वविद्यालय द्वारा भाषाई विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला।
सिंधी भाषा के अस्तित्व और चुनौतियाँ
कविता इसरानी, पूर्व सदस्य, राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद, नई दिल्ली ने सिंधी भाषा के ऐतिहासिक संदर्भों को साझा करते हुए बताया कि विभाजन के बाद सिंधी भाषा का अस्तित्व खतरे में आ गया। लेकिन आज डिजिटल माध्यमों के कारण सिंधी भाषी लोग एक-दूसरे से जुड़ रहे हैं और भाषा को संरक्षित करने में डिजिटल प्लेटफार्म सहायक हो रहे हैं।
अनिल निगुड़कर, पूर्व अधिकारी, भारतीय स्टेट बैंक, भोपाल ने मातृभाषा की महत्ता बताते हुए कहा कि हर व्यक्ति को अपनी मातृभाषा के संरक्षण की जिम्मेदारी स्वयं उठानी होगी। उन्होंने मराठी भाषा के ऐतिहासिक विकास पर भी चर्चा की और अन्य भाषाओं के संदर्भ में मातृभाषा के महत्व को उजागर किया।
तकनीकी युग में मातृभाषा की भूमिका
विशेषज्ञों ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि तकनीकी युग में भाषाओं के लिए अनुवाद और डिजिटल कंटेंट का विकास अनिवार्य हो गया है। इस संदर्भ में अशोक कडेल ने कहा कि “परिवार में मातृभाषा का उपयोग करना सबसे प्रभावी तरीका है, जिससे आने वाली पीढ़ी भी अपनी भाषा से जुड़ी रहे।”
संगोष्ठी का समापन
कार्यक्रम के अंत में शैलेन्द्र कुमार जैन, कुलसचिव, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “मातृभाषाओं के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के लिए ऐसे आयोजनों की निरंतर आवश्यकता है।” संगोष्ठी में विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्वान, शोधार्थी, शिक्षक एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
इस संगोष्ठी का संचालन अनीता चौबे, प्रभारी, हिंदी विभाग ने किया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में कमलिनी पशीने और अन्य सहयोगियों का विशेष योगदान रहा।
#हिंदीविश्वविद्यालय #सिंधीभाषा #राष्ट्रीयसंगोष्ठी #भाषाविकास #शिक्षा