भोपाल । राजधानी में जुलाई महीने के मुकाबले अस्थमा और एलर्जी के मरीज तीन गुना तक बढ गए है। कोरोना वायरस संक्रमण काल में अस्थमा के मरीजों की संख्या अस्सी पफीसदी तक कम हो गई थी, लेकिन अब पुन: मरीजों की संख्या बढना शुरु हो गई है। मरीजों के बढने की वजह सड़कों की धूल, दीवारों में फंगस, छोटे कीटों, पराग कणों और मौसम में बार-बार बदलाव को बताया जा रहा है। इसकी वजह से सांस नली में संक्रमण, सूजन, छाती में भारीपन, खांसी और सांस लेने में सीटी की आवाज आने जैसी तकलीफ हो रही है। कोरोना काल में सबसे ज्यादा राहत में अस्थमा और एलर्जी के मरीजों को थी। बाहर नहीं निकलने और मास्क लगाने की वजह से अन्य सालों के मुकाबले कोरोना मरीजों की संख्या 80 फीसद तक कम हो गई थी जो फिर से बढ़ने लगी है। एक्सपर्टस की माने तो अस्थमा के मरीजों को ज्यादा ठंडी से गर्मी या गर्मी से ठंडी में न जाएं। रात में ठंडी चीजें खाने या ठंडा पानी पीने से बचें। बाहर की तली हुई या बासी चीजें खाने से बचें। अस्थमा का पहले से इलाज चल रहा है तो दवाएं बंद न करें।धूल और धुआं के साथ उन चीजों से बचें जिनसे एलर्जी होने की जानकारी है। मास्क पहनें और भीगने से बचें।इस बारे में शहर के छाती व श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. पीएन अग्रवाल का कहना है कि जुलाई के मुकाबले अस्थमा और एलर्जी के मरीज तीन से चार गुना तक बढ़े हैं। हर साल अगस्त-सितंबर में मरीज बढ़ जाते हैं, लेकिन पिछले साल इन दिनों कोरोना के मरीज बहुत मिल रहे थे। इस कारण लोग घरों में थे, इसलिए ज्यादा मरीज नहीं आए। दो दिन से सड़कों में धूल उमड़ने की वजह से अस्थमा के मरीज हफ्ते भर में और बढ़ जाएंगे। वहीं छाती व श्वास रोग विभाग हमीदिया के एचओडी डॉ. लोकेन्द्र दवे का कहना है कि वातावरण में उमस, मौसम में बार-बार बदलाव, घरों में छोटे-छोटे कीट होने, दीवारों में फंगस की वजह से अस्थमा के मरीज महीने भर में करीब तीन गुने हो गए हैं। मौसम खुलने पर धूल बढ़ेगी। इससे एलर्जी, सांस नली में संक्रमण की तकलीफ वाले मरीज और बढ़ेंगे। ओपीडी में हर दिन करीब 60 मरीज आ रहे हैं। इनमें आधे से ज्यादा एलर्जी और अस्थमा के होते हैं।