भोपाल ।  पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर प्रदेश भर क सरकारी कर्मचारी आगामी  22 दिसंबर को ‎विधानसभा का घेराव करेंगे। इस ल़डाई को लड़ने के लिए अलग—अलग कर्मचारी संगठनों ने मोर्चे बना लिए हैं। आसपास के राज्यों के कर्मचारी भी इन मोर्चों में शामिल हुए हैं। सदस्यता अभियान तेजी से चल रहा है। पूर्व में धरना, प्रदर्शन और आंदोलन कर चुके हैं। ये कर्मचारी अन्य राज्यों की तरह मप्र में भी पुरानी पेंशन प्रणाली लागू करने की मांग पर अड़े हैं।मप्र कर्मचारी मंच के अध्यक्ष अशोक पांडेय ने इसी सिलसिले में कल पत्रकार वार्ता बुलाई। इसमें उन्‍होंने नई पेंशन व्‍यवस्‍था से कर्मचारियों को होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी।

उन्‍होंने यह भी कहा कि पुरानी पेंशन चालू करने के लिए लगातार सरकार से पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन अब तक सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है। अगर हमारी मांग नहीं मानी गई तो 22 दिसंबर को विधानसभा का घेराव करेंगे। कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि लाखों कर्मचारियों के वेतन से काटी जाने वाली राशि एक कंपनी को दी जा रही है। वही कंपनी संबंधित कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने पर 500 से 1000 रुपये पेंशन का भुगतान करती है।

पूर्व में राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष और पुरानी पेंशन राष्ट्रीय संघर्ष मोर्चा के प्रमुख जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में राजधानी में बड़े प्रदर्शन हो चुके हैं। पुरानी पेंशन बाहाली मोर्चा दिल्ली में भी ताकत दिखा चुका है। अब अन्य राज्यों में कर्मचारियों को एकजुट करने के प्रयास किए जा रहे हैं। जितेंद्र सिंह का कहना है कि सबसे अधिक जोर मप्र, छत्तीसगढ़ पर हैं। यहां कर्मचारियों की समस्याएं एक जैसी है। जिसमें मुख्य मुद्दा पुरानी पेंशन योजना को बहाल कराना रखा गया है। इसमें सभी कर्मचारियों का साथ मिल रहा है।

आज के समय में कई कर्मचारी बच्चों का विवाह तक नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि आज के समय में महंगाई बहुत है। पुरानी पेंशन बहाल करने से कर्मचारियों की बहुत सी मुश्किलें कम हो जाएंगी। सरकार भी यह बात जानती है कि उम्र भर शासकीय विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों के पास कमाई का दूसरा जरिया कुछ नहीं होता है। जब वे सेवानिवृत्त होकर घर जाते हैं तो कोई राशि नहीं मिलती और फिर परिवार की जिम्मेदारियां नहीं उठा पाते हैं। परिवार में कलह होती है। परिवार के सदस्य ही ताने मारते हैं।