सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कइंटीग्रेटेड ट्रेडन्यूज़ भोपाल : असम में पिछले कुछ दिनों से बाढ़ के कारण सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है, लेकिन अब स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। सोमवार को प्रमुख नदियों के जल स्तर में कमी दर्ज की गई है।

राज्य के नौ जिलों में बाढ़ से 2.07 लाख लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें बजाली, बारपेटा, बिश्वनाथ, कछार, दरांग, गोलपारा, कामरूप, करीमगंज और नलबाड़ी प्रमुख हैं। करीमगंज सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है, जहां करीब एक लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। कछार में 50,000 और दरांग में 30,000 लोग बाढ़ की चपेट में हैं। इस साल बाढ़ और भूस्खलन से अब तक 39 लोगों की जान जा चुकी है। करीमगंज में कुशियारा नदी खतरे के निशान के ऊपर बह रही थी, हालांकि पिछले दो दिनों में बारिश न होने से अन्य नदियों का जल स्तर घटा है।

बाढ़ से प्रभावित जिलों में करीब 75,000 लोग 200 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। 800 से अधिक गांव और 4,274.13 हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचा है। बाढ़ के कारण सड़कें, पुल और अन्य संरचनाएं भी क्षतिग्रस्त हुई हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रशासन को सभी प्रभावित जिलों में अलर्ट पर रहने और लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाने के निर्देश दिए हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम में बाढ़ की स्थिति को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में एनडीएमए, एनडीआरएफ और आईएमडी के महानिदेशक, सीडब्ल्यूसी और एनएचएआई के अध्यक्ष भी शामिल थे।

असम के अलावा उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अन्य राज्यों को भी मानसून के दौरान भूस्खलन और बारिश से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। हाल के वर्षों में तमिलनाडु, केरल और जम्मू-कश्मीर में भी बाढ़ की स्थिति देखी गई है।