सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : कभी भोपाल में एक बाघ का मूवमेंट हुआ कराता था। उसका अपना इलाका तकरीबन 25 वर्ग किमी था। अब यह घट गया है। भोपाल के महज 5 वर्ग किमी में ही 8 से अधिक बाघ हैं। यह स्थिति सिर्फ भोपाल की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की है। पहले एक बाघ की टेरेटरी 25 से अधिक वर्ग किमी की हुआ करती थी, वह अब घटकर 5 से 10 वर्ग किमी रह गई है।

वन अधिकारी इसका कारण बाघों की बढ़ती संख्या और आसानी से शिकार की उपलब्धता को भी मान रहे हैं। भोपाल और रातापनानी के बाघों पर हो रहे एक रिसर्च में सामने आया है कि बाघ आपस में तो इलाका साझा कर ही रहे हैं, इंसानों के साथ भी एडजस्ट कर रहे हैं।

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कान्हा नेशनल टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़, सतपुड़ा और पेंच नेशनल पार्क में बाघों की संख्या में मुताबिक शिकार उपलब्ध है। इनका घनत्व भी बढ़ा है। इसलिए इनकी इकोलॉजी भी उसकी तरह की हो गई है। पहले शाकाहारी वन्य प्राणियों की स्थिति ऐसी नहीं थी। यही वजह है कि भोजन की तलाश में लंबी चौड़ी टेरेटरी बनाते थे।

देश की एकमात्र सेंचुरी व शहर जिसमें 96 से ज्यादा बाघ
भोपाल और रातापानी सेंचुरी देश का इकलौता इलाका जहां बाघ आपस में और इंसान स्थान को बांट रहे। भोपाल, सीहोर और रातापानी सेंचुरी देश की इकलौता इलाका है, जहां वर्ष 2018 की लैंड स्केप गणना में रातापानी सेंचुरी में 45 बाघों उपस्थिति दर्ज कराई। 2022 में 96 बाघों पाए गए।

फैक्ट फाइल
2010 = 257
2014 = 308
2018 = 526
2022 = 785

ऐसा सिर्फ मप्र में… क्योंकि बाकी राज्यों में इतनी तेजी से संख्या नहीं बढ़ी

अभी बाघों ने अपना दायरा घटाकर खुद को एडजस्ट किया है। आगे जरूरत पड़ी तो हम दूसरे इलाकों में शिफ्ट भी करेंगे।
शुभरंजन सेन, कार्यवाहक पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ मुख्यालय

भास्कर एक्सपर्ट : जहां बाघ की उपस्थिति, उसे बाघ रहवास दर्ज करें

अतुल श्रीवास्तव, पूर्व पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ
2010- 11 में भोपाल में एक बाघ, बाघिन और रातापानी संचुरी में 4 बाघ थे। अब रातापानी के लैंडस्केप में 96 बाघ हैं। यह स्थिति देश में केवल मप्र की है। वजह अन्य राज्यों में बाघों की संख्या उतनी नहीं बढ़ी है।

डीपी श्रीवास्तव, रिसर्च स्कॉलर, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट
इंसानों के साथ रहने वाले बाघ चुनौती बनेंगे। इसके लिए अभी से मास्टर प्लान तैयार होना चाहिए। राजस्व जंगलों को संरक्षित वन श्रेणी में लाना होगा। जहां बाघ हैं, बाघों के रहवास के रूप में शामिल करना चाहिए।

 

सीएम बोले– मप्र में 785 बाघ गर्व की बात… सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में बाघों की आबादी 785 पहुंच गई है। यह गर्व की बात है। इसके लिए प्राणियों की सुरक्षा में लगे लोग बधाई के पात्र हैं।