आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : रणबीर कपूर की हालिया ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘एनिमल’ की सफलता में जानकार फिल्म के बैकग्राउंड स्कोर यानी बीजीएम की भी अहम भूमिका बता रहे हैं। इसे हर्षवर्धन रामेश्वर ने क्रिएट किया है। उन्होंने इससे पहले इसी फिल्म के डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा की ‘कबीर सिंह ’ का बीजीएम भी तैयार किया था। एनिमल के बारे में हर्षवर्धन ने दिलचस्प जानकारियां दैनिक भास्कर से साझा की हैं।

हर्षवर्धन ने कहा, ‘फिल्म में तीन से चार ऐसे पल थे, जहां धारदार बीजीएम की दरकार थी। खुद संदीप रेड्डी इससे अवगत थे। तभी शूट के दौरान वो लगातार मुझसे इस पर काफी डिसकस करते थे। फिल्म का बीजीएम पहले तैयार किया गया। फिर फिल्म की शूटिंग उसके बैकड्रॉप में की गई। खासकर जिस सीन से रणबीर कपूर के रिवेंज वाले हिस्से की शुरुआत होती है, वहां तो बाकायदा सेट पर ऊंची आवाज में बीजीएम में तैयार हुआ साउंड चलाया गया, फिर रणबीर कपूर, अनिल कपूर, शक्ति कपूर और बाकी कलाकार शूट करते रहे।

रिवेंज का इमोशन दिखाने के लिए करनी पड़ी थी मेहनत

बीजीएम साउंड के दौरान एक आईक्लैप होता है, उसके आते ही शॉट चेंज होते रहते हैं, मगर यहां विजुअल के शॉट वही इंटैक्ट रहे।’ संदीप ने कहा कि उन्हें एक अलग तरह की बीट चाहिए। उस बीट को हमने फिर पूरे साउंड इफेक्ट के लूप में चलाया। मैंने जो बाकी साउंड के कीज थे, उन्हें हटाया। सिर्फ वह बीट चलाया। उस बीट को प्ले करके मैंने उस पर एक बेस को ऐड किया। वहां बस तीन इंस्ट्रूमेंट से वह इफेक्ट क्रिएट किया था। एक लूप था तो दूसरा बेस। तीसरी आरपी जीएस साउंड इफेक्ट।

बेसिकली इस सीक्वेंस वाले बीट से हम हीरो के रिवेंज का इमोशन जाहिर कर रहे थे। हमने इलेक्ट्रो पॉप इंस्ट्रूमेंट यूज किए।

‘एनिमल’ का अगला पार्ट भी आएगा

हर्षवर्धन फिल्म के उस पोर्शन में भी बीजीएम जोड़ने के स्टेप बताते हैं, जिससे स्पष्ट हुआ कि फिल्म का अगला पार्ट भी आने को है। उसे बूचर किलिंग सीन कहा गया। हर्षवर्धन के शब्दों में, ‘दिलचस्प बात यह रही कि हमने कीबोर्ड सितार का साउंड बैकग्राउंड में रखा। उसका फ्यूजन हमने उस पर मैंने बीट की लेयरिंग ऐड की। सबसे पहले मैंने म्यूजिकल टर्म में जिसे रिद्म कहते हैं, उसे शुरू किया। उसमें हमने काउबेल की आवाज भी रखी। इसके साथ में हमने बच्चे के रोने की आवाज को भी जोड़ा।

ये सारे साउंड मैंने क्रिएट किए उन इंस्ट्रूमेंट की मदद से। जबकि जो बुनियादी साउंड था चाकू और तलवार चलने के, उसे फॉली आर्टिस्ट सचिन ने ऐड किए थे। इस तरह हम इंटेंस असर कायम करने में सफल रहे।’ हर्षवर्धन साफ तौर पर यह भी कहते हैं कि एक्शन फिल्मों में तो पहले भी बीजीएम की अहमियत थी, मगर अब और उसकी भूमिका बढ़ी है। खासकर केजीएफ जैसी फिल्मों में जो बीजीएम का स्केल था। उससे कंपटीशन अलग लेवेल पर पहुंचा है।