सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: अंडमान की खुशनुमा सुबह और उसके रंग-बिरंगे सूर्यास्त की कल्पना ही मन को शांति से भर देती है। समुद्र की लहरों की मद्धम और कभी गर्जन करती आवाज़ और उन पर नाचती सूरज की सुनहरी किरणें जैसे हर चिंता को बहा ले जाती हैं। खुले आसमान के नीचे, समुद्र के किनारे बैठकर क्षितिज की ओर देखना ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने खुद अपनी सबसे बेहतरीन तूलिका से उस पल को रचा हो।
सुबह का सूरज जैसे ही क्षितिज से ऊपर उठता है, आसमान का रंग हल्के नारंगी से गहरे नीले में बदलता जाता है। समुद्र की लहरें इस बदलाव का स्वागत करती प्रतीत होती हैं, और हर लहर के साथ एक नई ऊर्जा आप तक पहुँचती है। उस शांत, ठंडी हवा में, जब सूरज धीरे-धीरे गर्माहट बढ़ाता है, मन एक अजीब सी खुशहाली से भर उठता है।
तेज हवाएं ,चक्रवात (साइक्लोन) का अलर्ट ,समुद्र की उफनती लहरें ,तेज बारिश ये भी शायद हमारी इच्छा शक्ति को डिगा नहीं पाई और हम निकल पड़े अंडमान के पोर्टब्लेयर ,वीरों की भूमि नाम से जाने जाना वाला शहर या एक द्वीप एक ऐसा द्वीप जो प्रदूषण से दूर है प्लास्टिक फ्री जगह ,नैसर्गिक सुंदरता लिए हुए यहाँ का मौसम कभी कभी आपकी परीक्षा भी लेता हे। कभी तेज धूप कभी तुरंत बारिश यह शायद इस द्वीप का मिजाज भी है। हम चार लोग चार छातों से अपने आपको बचाते हुए इस द्वीप की सुंदरता के साक्षी बने।शाम ५ बजे सूर्यास्त होने के साथ ही घनघोर अँधेरा हो जाता है। लेकिन फ्लैग पॉइंट तो जाना ही था जिससे आज़ादी के दीवाने सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कई क्रांतिकारियों द्वारा 1943 पोर्ट ब्लेयर में राष्ट्रीय ध्वज फहराया और अंडमान और निकोबार को अंग्रेजों से स्वतंत्र घोषित किया। इस जगह जाकर एक अलग अनुभूति होती है ।
अंडमान में सूर्योदय एवं सूर्यास्त दोनों बहुत ही दर्शनीय एवं श्रद्धा के केंद्र हैं। सूर्य देवता की पूजा जो जीवन की ऊर्जा और प्रकाश का स्रोत है।जिस तरह छठ पूजा की रस्मों में सूर्य देवता की पूजा,सुबह की पहली किरण एवं प्रकृति की पूजा की जाती है, जो जीवन की सुंदरता और समृद्धि का स्रोत है। छठ पूजा की रस्मों में संध्या अर्घ्य की रस्म भी होती है, जिसमें लोग सूर्य देवता को अर्घ्य देकर स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं। यहाँ भी कुछ इसी तरह की मिश्रित भावनाये उमड़ती हैं। हमारा ड्राइवर मनु केरल से था उसकी पत्नी बिहार की है बैठे बैठे उसनेछठ पूजा के महत्व को बता दिया, अंडमान जहां देश के अन्य भागों से पहले सूर्योदय और सूर्यास्त होता है, जहां कोई क्षेत्रीय और जाति वाद नहीं दिखा पर उस भास्कर के अजस्र ऊर्जा स्त्रोत के प्रति भाव में कोई कमी नहीं….मन आल्हादित हो गया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंडमान और निकोबार द्वीपों के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है। 1943 में, जापानी सेना ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंडमान और निकोबार द्वीपों पर अधिकार कर लिया। जापानी सेना के सहयोग से सुभाष चंद्र बोस ने, जिन्होंने आजाद हिंद फौज +का गठन किया था, ने इन द्वीपों पर कब्जा करके भारत की स्वतंत्र भूमि घोषित किया। यह घटना 30 दिसंबर 1943 को हुई थी, जब नेताजी ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जापानी सेना ने इस द्वीप पर कब्जा कर लिया था और उन्होंने यहाँ पर अपने बंकर और तोपें बनाई थीं। आज भी इन जापानी बंकरों और तोपों के अवशेष द्वीप पर देखे जा सकते हैं।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का दृष्टिकोण यह था कि भारत की आजादी केवल अंग्रेजों से सीधे लड़ाई करके ही संभव हो सकती है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अहिंसा की नीति से असहमति जताई और आजाद हिंद फौज की स्थापना की। जापानी और जर्मन समर्थन के साथ, उन्होंने एक वैश्विक स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने की कोशिश की। नेताजी का मानना था कि “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा,” और उनके इस आह्वान ने लाखों भारतीयों के दिलों में जोश भर दिया।यह कदम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अनोखी घटना थी क्योंकि यह पहला मौका था जब भारत की किसी भूमि को स्वतंत्र घोषित किया गया था, और इस पर भारतीय ध्वज फहराया गया था। नेताजी द्वारा अंडमान और निकोबार द्वीपों पर ध्वज फहराना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रेरणादायक प्रतीक था। यह भारतीयों के मन में आत्मनिर्भरता, आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के प्रति संकल्प को मजबूत करने का प्रतीक बन गया। उनका यह कदम भारतीयों को यह महसूस कराता था कि स्वतंत्रता संभव है और यह उनके लिए एक प्रेरणा स्रोत बना।
2018 में नेताजी की ऐतिहासिक यात्रा की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन द्वीपों के नाम बदलने की घोषणा की:
1. हैवलॉक द्वीप – “स्वराज द्वीप”
2. रॉस द्वीप – “नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप”
3. नील द्वीप- “शहीद द्वीप”
इस नामकरण का उद्देश्य नेताजी और आज़ाद हिंद फ़ौज के नाम से मशहूर भारतीय राष्ट्रीय सेना के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को सम्मान देना था।
इसी फ्लैग पॉइंट पर खड़े हुए और अपने संवेगों को नियंत्रित करते हुए हम सूर्यास्त को देखते रहे यह एक जादुई अनुभव से कम नहीं। सूरज कोगोलाकार धीरे-धीरे समंदर के पानी में डूबते देखना ऐसा लगता है जैसे समय रुक गया हो। आसमान के बदलते रंग—लाल, गुलाबी, नारंगी और बैंगनी—सब आपस में मिलकर एक अनोखी छटा बिखेरते हैं। समुद्र के किनारे टहलते हुए, जब पैरों के नीचे रेत का नरम एहसास और दूर तक फैले शांत जल का नज़ारा आँखों में बसता है, तो लगता है मानो आत्मा को नई उड़ान मिल गई हो। रात के अंधेरे में वही समुद्र, जो दिन में जीवन से भरा लगता था, अब एक रहस्यमयी सुंदरता के साथ चमक उठता है। चांद की रोशनी में लहरें चांदी सी झिलमिलाती हैं, और तारों भरे आसमान के नीचे वह पल किसी सपने सा लगता है। तस्वीरें खींचने का मन ज़रूर करता है, पर कुछ एहसास ऐसे होते हैं जिन्हें शब्दों या तस्वीरों में समेटा नहीं जा सकता। वे बस महसूस किए जा सकते हैंअंडमान का यह अलौकिक अनुभव उन्हीं में से एक है। (लेखक मनोवैज्ञानिक एवं शिक्षाविद हैं |
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