सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एम्स “भारत में रोगाणुरोधी प्रतिरोध का पता लगाने और उसे रोकने के लिए अस्पताल संक्रमण नियंत्रण की क्षमता निर्माण और सुदृढ़ीकरण” पहल के हिस्से के रूप दो दिवसीय वर्चुअल प्रशिक्षण सत्र का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन एम्स के कार्यपालक निदेशक, प्रो. (डॉ) अजय सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य मध्य प्रदेश राज्य में समग्र स्वास्थ्य सेवा से जुड़े संक्रमण (एचएआई) दरों को कम करना है।
प्रो. सिंह ने स्वास्थ्य सेवाओ में एचएआई के बढ़ते मामलों पर चर्चा करते हुए कहा कि एचएआई, जो अक्सर बहु-दवा प्रतिरोधी जीवों से जुड़ा होता है, एक कड़ी चुनौती है और समुदाय-अधिग्रहित संक्रमणों की तुलना में उच्च मृत्यु दर और रुग्णता दर का कारण बनता है। प्रो. सिंह ने एचएआई को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सभी स्वास्थ्य कर्मियों, चाहे वे प्राथमिक, माध्यमिक या तृतीयक देखभाल में हों, की एचएआई की घटनाओं को कम करने की जिम्मेदारी है। हाथ की स्वच्छता जैसे सरल उपाय एचएआई के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं। प्रो. सिंह ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और अन्य सरकारी एजेंसियों के तकनीकी सहयोग से एचएआई निगरानी, प्रशिक्षण और शिक्षण गतिविधियों में एम्स की सक्रिय भागीदारी की भी सराहना की। एम्स में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. (डॉ) देबाशीष बिस्वास ने एचएआई निगरानी के महत्व और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा बुनियादी संक्रमण नियंत्रण उपायों, विशेष रूप से हाथ की स्वच्छता का अभ्यास करने की आवश्यकता पर जोर दिया। वर्चुअल प्रशिक्षण सत्रों में सेंट्रल लाइन एसोसिएटेड ब्लडस्ट्रीम इंफेक्शन (CLABSI), कैथेटर एसोसिएटेड यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (CAUTI), सीजेरियन सेक्शन सर्जिकल साइट इंफेक्शन (CS-SSI), वेंटिलेटर एसोसिएटेड इंफेक्शन (VAP) जैसे महत्वइपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।
इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश राज्य के स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों, नर्सों, रेजीडेंट्स, गुणवत्ता मूल्यांकनकर्ताओं और मध्य प्रदेश के 53 जिलों के तकनीशियनों सहित लगभग 990 स्वास्थ्य कर्मियों ने भाग लिया।