सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : नासिक सिंहस्थ कुंभ मेले में इस बार शाही स्नान की परंपरा को बदलकर ‘अमृत स्नान’ का आयोजन किया जाएगा। यह ऐतिहासिक बदलाव महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अखाड़ा परिषद के साधुओं व महंतों की बैठक में तय किया गया। बैठक में मुख्यमंत्री ने महंत राजेंद्रदास महाराज के सुझाव को स्वीकार करते हुए शाही स्नान को आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व देने के लिए इसे ‘अमृत स्नान’ नाम दिया।
नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ कुंभ मेला 31 अक्टूबर 2026 को ध्वजारोहण के साथ शुरू होगा। अमृत स्नान की पहली कृतिया 2 अगस्त 2027 को होगी, जबकि दूसरा अमृत स्नान 31 अगस्त 2027 को होगा। तीसरा और अंतिम स्नान क्रमशः 11 सितंबर 2027 को नासिक में और 12 सितंबर 2027 को त्र्यंबकेश्वर में आयोजित होगा। इस साल की प्रमुख खासियत यह है कि शाही स्नान की भव्यता और राजसी परंपरा को आध्यात्मिक अनुशासन के साथ बदलकर कुंभ मेले को एक नई दिशा दी जाएगी।
अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़े के प्रवक्ता महंत भक्ति चरण दास ने बताया कि शाही स्नान की परंपरा मुगल काल में शुरू हुई थी, इसलिए इसे बदलने का निर्णय लिया गया है। अमृत स्नान का नाम समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से लिया गया है, जिसमें दिव्य अमृत की बूंदें कुंभ स्थलों पर गिरी थीं। नासिक भी उन पवित्र स्थलों में शामिल है।
यह बदलाव कुंभ मेले के आध्यात्मिक स्वरूप को पुनः स्थापित करेगा और भक्तों को एक नई अनुभूति प्रदान करेगा। इसके साथ ही 29 जुलाई 2027 को नासिक में नगर प्रदक्षिणा भी आयोजित होगी। पिछला सिंहस्थ कुंभ मेला 2015-16 में आयोजित हुआ था। इस बार के मेले में यह परिवर्तन नई ऊर्जा और आध्यात्मिकता का संचार करेगा।
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