वॉशिंगटन । अमेरिका और जर्मनी ने चीन के साथ विवाद में लिथुआनिया का समर्थन किया और कहा कि बीजिंग द्वारा इस छोटे से बाल्टिक देश पर दबाव डालना अनुचित है। दरअसल लिथुआनिया ने पिछले साल विलनियस में ताइवान को ताइपे नाम के बजाए अपने ही नाम पर कार्यालय खोलने की मंजूरी दी थी। यह एक ऐसा कदम है, जिसे उठाने से दुनिया के ज्यादातर देश बचते हैं क्योंकि इससे उन्हें चीन की नाराजगी मोल लेनी पड़ सकती है।

चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और उसे कोई राजनयिक पहचान नहीं देता है। लिथुआनिया के इस कदम से चीन नाराज हो गया और उसने विलनियस से अपने राजदूत को बुला लिया और बीजिंग से लिथुआनिया के राजदूत को देश से जाने के लिए कह दिया। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने जर्मनी की अपनी समकक्ष के साथ हुई बैठक के बाद कहा कि लिथुआनिया पर दबाव डालने के चीन की सरकार के कदम से वे चिंतिंत हैं।

इस देश की आबादी 30 लाख से भी कम है। जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेरबोक ने कहा ‎कि यूरोपीय होने के नाते हम लुथिआनिया के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हैं। ब्लिंकन ने कहा कि चीन यूरोपीय और अमेरिकी कंपनियों पर दबाव डाल रहा है कि वे लिथुआनिया में बने घटकों से उत्पाद बनाना बंद करें या चीनी बाजार में पहुंच समाप्त होने के खतरे का सामना करें।