सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : अखिल भारतीय रूपक महोत्सव के तीसरे दिन सर्वप्रथम महिमामयभारतम नाटक की प्रस्तुति हुई निदेशक यतींद्र विमल चतुधुरीण के द्वारा रचित पांच अंको में बंटा हुआ यह नाटक मुख्यतः वैदिक, पौराणिक ,मध्यकाल और आधुनिक युग में पूजित और व्यवस्थापित भारत की नदियों पर आधारित है । भारत की विभिन्न नदियों के द्वारा किस प्रकार मानव सभ्यता का उद्धार किया जाता है यह इस नाटक में दर्शाया गया है।


पश्चिम बंगाल के कालियाचक बिक्रम किशोर आदर्श संस्कृत महाविद्यालय से आए नाट्य दल ने आश्चर्यकरमेव नाटक की प्रस्तुति दी ।यह नाटक हमारे आधुनिक समाज में व्याप्त सामाजिक भ्रष्टाचार, ईर्ष्या ,नैतिकता की कमी और स्वार्थ के विषय पर आधारित है। यह नाटक यह प्रश्न उठाता है कि एक तरफ जहां मनुष्य सामाजिक कर्तव्य में लगे रहते हैं वहीं स्वार्थ के लिए अपने धर्म और नैतिकता को कैसे भूल जाते हैं ? भ्रष्टाचार से प्रेरित होकर कैसे मातृवत महिलाओं पर अत्याचार करते हैं ।इन मुद्दों को प्रस्तुत करते हुए इस नाटक ने दर्शकों को स्वयं के व्यवहार को न्याय के तराजू में तोलने के लिए प्रेरित किया ।इस रूपक की रचना विभा क्षीरसागर के द्वारा की गई है। पश्चिम बंगाल से आई इस प्रस्तुति में अण्वेषा दिण्डा ने कुलवधू,पार्थ सारथी पण्डा ने आरक्षक एवं पुरोहित ,अनुश्री जाना ने लक्ष्मी एवं सौभिक
पण्डा ने नेता की भूमिका निभाई।


इसी दिन सनातन धर्म आदर्श संस्कृत महाविद्यालय,उना, हिमाचल प्रदेश के नाट्य दल ने विषमपरिणयम नाटक की प्रस्तुति दी ।इस रूपक ने भी दर्शाया कि महिलाओं की समाज में क्या स्थिति है। न्याय प्राप्त करने के लिए महिलाओं को कितने कठिन प्रयास करने पड़ते हैं यह इस नाटक में व्यक्त किया गया।इस नाटक को सूरत, गुजरात के प्रसिद्ध विद्वान गणेश शंकर ने लिखा है।
कवि कुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, नागपुर, महाराष्ट्र के आए से आए नाटक दल ने विकसितुएषाकलिका नामक संस्कृत नाटक जो कि लीना रस्तोगी द्वारा रचित है, का मंचन किया। वर्तमान समय में प्रासंगिक कन्याओं की सुरक्षा के विषय को इस नाटक ने मंच पर जीवंत कर दिया।
अपराह्ण में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, श्रृंगेरी ,कर्नाटक ने वासंतिकस्वप्नम नाटक की प्रस्तुति दी। शेक्सपियर द्वारा अंग्रेजी में रचित अ मिड समर नाइट्स ड्रीम नामक रूपक के संस्कृत रूपांतरण में अवंतीपुर नगर को दर्शाया गया। 19वीं शताब्दी के संस्कृत विद्वान कृष्णम्माचार्य द्वारा किये गये इस रूपांतरण में इंदु शर्मा, कनकलेखा, सौदामिनी और मकरंद आदि चरित्रों ने मंच को अपने भावपूर्ण अभिनय से जीवंत कर दिया।


इसी दिन केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, एकलव्य परिसर, अगरतला, त्रिपुरा से आए नाट्य दल ने राम जी उपाध्याय द्वारा लिखे गए शम्बूकाभिषेकम नाटक की प्रस्तुति दी। इस रूपक में महेंद्र पाल ने समस्त दर्शकों का दिल जीत लिया। शम्बूक नामक शबर राजकुमार के अभिषेक की कथा पर आधारित इस नाटक में आंध्र प्रदेश की शबर संस्कृति को दर्शाया गया।
महोत्सव के तृतीय दिन कोटभलवाल ,जम्मू के केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय , रणवीर परिसर ने भासोहास नामक नाटक की प्रस्तुति दी ।इस तीन अंक के नाटक को गजानंद बालकृष्ण पलसुले ने लिखा है । भास के जीवन के एक वृत्तांत को दर्शाते हुए इस नाटक में प्राचीन भारत को मंच पर प्रस्तुत किया गया ।इस नाटक में कवि भास तथा उसके प्रतिद्वंद्वी वसुमित्र ने अपने-अपने अभिनय से दर्शकों के मन को जीत लिया ।
नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन के अंत में नाट्यशास्त्र अध्ययन अनुसंधान केंद्र भोपाल परिसर के द्वारा एंथोनी चेखोव की कहानी द बेट पर आधारित पण: नामक संस्कृत रूपक की प्रस्तुति दी गई ।पण: यानी शर्त – यह एक एकल प्रस्तुति है जो नाट्य शास्त्र में दश रूपक विधान के अंतर्गत भाण: के अंतर्गत आता है ।इसमें अभिनेता ने कथा वाचक की भूमिका के साथ-साथ कहानी के अन्य पात्रों की भूमिका भी निभाई। एक ओर जहां तीसरे दिन मंच विभिन्न कलाकारों से भरा होते हुए दर्शकों का मन मोहता रहा वही पण प्रस्तुति में इकलौते कथावाचक अभिनय कलाकार ने दर्शकों को पूरी प्रस्तुति के दौरान मंत्र मुग्ध करते हुए बांधे रखा।भाण: नामक प्राचीन संस्कृत विधा, जिसे आधुनिक थिएटर में एकल प्रस्तुति कहा जाता है, की इस एकल प्रस्तुति का संस्कृत रूपांतरण प्रो राधावल्लभ त्रिपाठी ने किया है। एंटोनी चेखव के मूल नाटक द बेट पर आधारित इस एकल प्रस्तुति का निर्देशन प्रो सुधींद्र शर्मा ने किया । डॉ चन्नबासव स्वामी हिरेमठ ने एक घंटा 3 मिनट की यह एकल प्रस्तुति देते हुए दर्शकों को पूर्ण रूप से बांधे रखा। धन और ज्ञान के बीच होने वाले द्वंद्व को दर्शाते कथानक में चार पात्रों की भूमिका अकेले ही निभाते हुए उन्होंने सभी दशकों को मंत्र मुग्ध कर दिया।

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