न्यूयॉर्क । अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के ताजा अध्ययन में ये दावा किया गया है कि साल 2019 में वायु प्रदूषण और इससे निकलने वाले धुंए से 60 लाख बच्चों का जन्म समय से पहले हुआ। इस प्रदूषण का असर गर्भवती महिलाओं और उनके होने वाले बच्चे पर तेजी से पड़ रहा है।
अध्ययन कर्ताओं का कहना है कि उन्होंने 204 देशों के आंकड़ों को रिसर्च में शामिल किया। रिपोर्ट में सामने आया कि जहरीली हवा में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पीएम 2.5 प्रेग्नेंसी के दौरान बुरा असर डालता है। पीएम 2.5 बेहद बारीक कण होते हैं जिसे इंसान नग्न आंखों से देख नहीं सकता। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों को देखें तो हर वर्ष जन्म लेने वाले करीब 2 करोड़ नवजात बच्चों का वजन जन्म के समय सामान्य से कम होता है।
वहीं, करीब 1.5 करोड़ बच्चों का जन्म समय से पूर्व ही हो जाता है।ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) 2019 के अनुसार पांच वर्ष से कम आयु के 34 फीसदी बच्चों की मौत के लिए जन्म के समय कम वजन जिम्मेवार था, जबकि इसी आयु वर्ग के करीब 29 फीसदी बच्चों की मौत के लिए उनका समय से पूर्व जन्म लेना वजह था। यह पहला अध्ययन है जिसमें शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण और गर्भावस्था से जुड़ी कुछ प्रमुख समस्याओं पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया है, जिसमें जन्म के समय गर्भस्थ शिशु की आयु, जन्म के समय कम वजन और समय से पहले वजन आदि को शामिल किया है।
शोध के अनुसार यदि दक्षिण पूर्व एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में वायु प्रदूषण को कम कर दिए जाए, तो वैश्विक स्तर पर नवजातों के समय से पहले जन्म लेने और जन्म के समय कम वजन के मामलों को करीब 78 फीसदी तक कम किया जा सकता है। गौरतलब है कि इन क्षेत्रों में घरों के भीतर होने वाला प्रदूषण एक आम समस्या है। साथ ही यहां जन्म दर भी दुनिया में सबसे ज्यादा है। इस शोध में घर के भीतर होने वाले वायु प्रदूषण को भी शामिल किया गया है, जो ज्यादातर लकड़ी, कोयले और कंडों से चलने वाले चूल्हों के कारण होता है। अनुमान है कि यह इस समस्या के करीब दो-तिहाई हिस्से के लिए जिम्मेवार है।