सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह के अथक प्रयासों से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एम्स भोपाल को दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए उत्कृष्टता केंद्र घोषित किया है। सिकल सेल रोग / थैलेसीमिया भी एक दुर्लभ बीमारी है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए बचपन से ही जाँच होना आवश्यक है ताकि समय पर इलाज आरंभ हो सके।
देश के कुल आदिवासिओ की सबसे बड़ी जनसंख्या मध्य प्रदेश में है और यह बीमारी आदिवासिओ में बहुत ज्यादा फैली हुई है। इसी सिलसिले में ” नवजात शिशुओं में आम चयापचय संबंधी विकार और सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया और अन्य हीमोग्लोबिनोपैथी की जांच के लिए प्रयोगशाला सुविधाओं की स्थापना ” नामक एक परियोजना एम्स भोळ में चलाई जा रही है। एम्स भोपाल के बाल रोग विभाग द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (रक्त कोशिका) के सहयोग से राज्य सिकल सेल मिशन के तहत नवजात शिशु में चयापचय संबंधी विकारों और हीमोग्लोबिनोपैथी की जांच के बारे में जागरूकता के लिए एक ऑनलाइन प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
यह प्रशिक्षण सभी 49 जिलों में स्वास्थ्य देखभाल स्टाफ (चिकित्सा अधिकारियों, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ) को नवजात शिशु की हीमोग्लोबिनोपैथी (सिकल सेल) और चयापचय संबंधी विकारों की जांच शुरू करने के लिए दिया गया। प्रशिक्षण का उद्देश्य प्रतिभागियों को नमूनों के संग्रह के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करना था। नवजात शिशु की जांच के लिए. इसमें नवजात शिशु की स्क्रीनिंग और नमूना संग्रह की पद्धति शामिल थी। यह सत्र प्रतिभागियों को प्रशिक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इसमें विभिन्न पहलू जिनमें नवजात शिशु स्क्रीनिंग अवलोकन, नमूना से संबंधित तकनीकी पहलू , संग्रह, भंडारण और परिवहनशामिल हैं । प्रत्येक जिले में दो बैचों में प्रशिक्षण आयोजित किया गया था। पहला बैच चिकित्सा अधिकारियों और स्टाफ नर्स के लिए था और दूसरा बैच प्रयोगशाला तकनीशियनों के लिए था। प्रशिक्षण में सभी जिलों से लगभग 350 प्रतिभागियों ने भाग लिया।