सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक अजय सिंह के प्रयासों से संस्थान को आधिकारिक तौर पर भारत सरकार द्वारा दुर्लभ बीमारियों के के इलाज के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) के रूप में मान्यता दी गई है। सीओई के रूप में मान्यता प्राप्त होने के बाद सरकारी और स्वैच्छिक संगठनों से वित्तीय सहायता के लिए रोगी का पंजीकरण अब यहाँ किया जा सकता है, जिससे महत्वपूर्ण उपचार और अन्य सेवायें आसानी से मिल जाती हैं ।
एम्स भोपाल के बाल रोग विभाग द्वारा लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर (एलएसडी) पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया । लाइसोसोमल स्टोरेज रोग (एलएसडी) चयापचय की जन्मजात त्रुटियां हैं जो लाइसोसोम की दोषपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण विभिन्न अंगों की कोशिकाओं में अधिक मात्रा में सब्सट्रेट के संचय से होती हैं। वे उन अंगों की शिथिलता का कारण बनते हैं जहां वे जमा होते हैं और बड़ी रुग्णता और मृत्यु दर में योगदान करते हैं।
ये विकार, हालांकि दुर्लभ हैं किन्तु बचपन से लेकर किसी भी उम्र में प्रकट हो सकते हैं और महत्वपूर्ण जीवन-घातक चुनौतियाँ पैदा कर सकते हैं। राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति के अनुरूप, इन विकारों के लिए कुछ उपचार उपलब्ध हैं। प्रारंभिक निदान एलएसडी के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, समय पर इलाज के माध्यम से संभावित रूप से जीवन बचाया जा सकता है। इन विकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर, एम्स भोपाल का लक्ष्य जीवित रहने की दर को बढ़ाना और प्रभावित व्यक्तियों के जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करना है। जागरूकता सत्र में 50 से अधिक रेजिडेंट डॉक्टरों और स्टाफ सदस्यों ने भाग लिया । कार्यक्रम का आयोजन सनोफी इंडिया के सहयोग से किया गया था।